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हैलो दोस्तों मेरा नाम सिद्धार्थ है। मेरी उम्र 21 साल है।

मुझे इंदौर आए अभी कुछ ही दिन हुए.. यहाँ मैं अपने कुछ जरूरी काम से आया हुआ हूँ। क्योंकि कुछ ही दिन का काम है और इंदौर में मेरे मामा भी रहते हैं तो फिलहाल मैं उन्ही के घर ठहरा हूँ।

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मामा अक्सर बाहर ही रहते हैं और मामी इन दिनों अपने मायके गई हुई हैं।

घर में सिर्फ नानी और मामा का लड़का रहता है, नानी बीमार रहती हैं तो अक्सर आराम करती रहती हैं।

यह किस्सा जो मैं आपको सुना रहा हूँ, कुछ ज्यादा दिन नहीं.. बस दो दिन पुराना है।

मामा का लड़का स्कूल गया हुआ था और और नानी आराम कर रही थीं।

मैं भी उस दिन फ्री ही था.. सुबह का वक़्त था.. यही कोई 8.30 बजे होंगे।
इस समय एक नौकरानी आती है और झाड़ू आदि लगाती है।

उसने दरवाजे पर दस्तक दी मैं समझ गया कि वाही आई होगी.. मैंने दरवाज़ा खोला और वो अन्दर काम करने आ गई।

मैं अपने लैपटॉप पर फिल्म देख रहा था।

मेरा मन उस नौकरानी को देख कर ही मचल गया था। काले ब्लाउज और सफ़ेद साड़ी में वो बड़ी ही बेहतरीन माल लग रही थी।

वो बेहद खूबसूरत और जवान थी। उसकी उम्र यही कुछ 26 साल करीब होगी।

जब वो मेरे कमरे में आई तो उसके स्तन मुझे उसके ब्लाउज से झांकते हुए दिखे।
उसके उभारों में इतनी गोलाई थी कि मैं उनमें ही खो गया।

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नानी उसे कावेरी बाई कह कर पुकारती थीं.. किसी नदी के मचलते पानी की तरह ही उसका बदन था.. बिल्कुल लचीला.. हर तरह के सांचे में ढल जाए मानो…

मुझे तो उसने अपनी खूबसूरती का कायल ही कर दिया था।

जब मेरी नज़र उसके ब्लाउज से झांकते स्तनों को निहार रही थी.. तब कावेरी की नज़रें मुझे ये चोरी करते देख चुकी थीं और वो मेरे इरादे भांप गई थी।
इसलिए उसने अपने साड़ी का पल्लू ठीक किया और मुँह घुमा कर झाड़ू लगाने लगी..
लेकिन फायदा क्या??
अब मुझे उसके चूतड़ नज़र आ रहे थे।

क्या उभरे हुए चूतड़ थे उसके.. मैं तो देखते ही मानो पागल हो गया था।

मैंने अपना मन बना लिया था कि आज घर पर भी कोई नहीं है और नानी भी सो रही हैं तो कावेरी के साथ कुछ न कुछ हो ही जाए।
वो मेरे कमरे से जा चुकी थी और मैं अपना मन बना कर रह गया।

उसके बदन की मादक नक्काशी ने मानो मेरे मन में कई मीनार बांध दिए थे।

मैं अपने लण्ड को शांत नहीं कर पा रहा था पर फिर नौकरानी भी तो इंसान ही है ना उसे भी वही सारी चीजें मिली हैं जो दूसरी लड़कियों के पास हैं और फिर उसके इतने सुन्दर और इतने गठीले जिस्म को देख कर किस का मन नहीं होगा उसे गन्दा करने को…
मुझे अपने लण्ड को आज तो उसकी चूत में डाल कर पवित्र करना था..
मेरे तन्नाए हुए लौड़े को कावेरी की जवानी का रस चखना ही था।
ऐसा लगता था कि अब मेरे इस लंड का यही उद्देश्य रह गया था।

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कावेरी मेरे कमरे से निकल कर बर्तन मांजने लगी थी।
उसे दूसरे घर भी काम करने जाना था।
जब वो बर्तन घिस रही थी तो अपने चेहरे पर आते बालों को कलाइयों से हटाती जाती.. उसके बर्तन घिसने से हिलते हुए वक्ष मुझे और कामुक कर रहे थे।

मैंने आव देखा न ताव और पीछे से जा कर उसके स्तनों को पकड़ कर चूचियाँ अपनी मुट्ठी से भींचने लगा।
अपना लण्ड उसकी गांड को चुभाने में मज़ा आ रहा था.. उसने तनिक विरोध किया तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से रोक लिया और चूमने लगा, धीरे से उसे अपनी तरफ घुमाया और तेज़ी से उसके वक्षों को ब्लाउज से आज़ाद किया।

उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

वो मुझे रोकने लगी तो मैंने उसे कहा- चुप रहो और मज़ा लो।

मैंने धीरे से उसकी साड़ी ऊँची कर अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।

मैं उसे नंगा करने लगा.. तो वो बोली- कोई देख लेगा…
वो विरोध करने लगी..
उसका विरोध मैं निरंतर अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका कर रोक रहा था।

वो नंगी हो चुकी थी और अब चुदने का मन भी बना बैठी थी।

मैं उसे नंगी ही अपने कमरे में ले गया और उसके बदन को गद्दा समझ उस पर चढ़ गया।

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उसकी चूचियाँ मानो जैसे आइसक्रीम का स्वाद दे रही थीं।

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को छेड़ना शुरू किया और फिर उसने भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर बहुत देर तक चूसा।

एक बार तो मैं उसके मुँह में ही झड़ गया..

फिर मैंने धीरे से अपने लण्ड को कावेरी की चूत के मुहाने पर रख कर अन्दर सरकाया और धीरे-धीरे चुदाई आरम्भ की..

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

उसकी ‘आह.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ह्हाआआऐईईई’ मुझे और ताकत दे रही थी।

मैं अपनी रफ़्तार से कहीं ज्यादा रफ़्तार रख कर उसे चुदाई की शांति दे रहा था और वो और कामुक होती जा रही थी।

उसकी चुदाई की आग का वहशीपन बढ़ता ही जा रहा था।

मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी वासना को ठंडा किया। कुछ देर उपरान्त झड़ने के बाद हम दोनों नंगे पड़े रहे।

उसने कहा- तुमने आज बहुत समय लिया और मुझे दूसरे घर काम करने जाना था.. मेरे घर की हालत ख़राब है मुझे पैसों की ज़रूरत है।

मैंने उसकी पूरी आपबीती सुनी और उसे कुछ पैसे दिए।

अब वो और मैं रोज़ चुदाई करते हैं।

मेरा मन तो कर रहा है कि मामा के घर से जाऊँ ही नहीं..
पर जाना तो पड़ेगा ही।

इतनी खूबसूरत चुदक्कड़ हुस्न की मालकिन मैंने आज तक नहीं देखी..
हाँ उस हुस्न की परी से वक़्त-वक़्त पर आने का वादा ज़रूर करके जाऊँगा…naukar

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