मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

आप टीएमकेओसी-1 जरूर पढ़ें।

अब जेठालाल अपने घर से बाहर निकल गया था, और दया अभी भी अपनी माँ से फोन पर बात कर रही थी।

जेठा लाल नीचे उतर रहा था और साथ ही उसका लंड आज ज्यादा ही हिल रहा था, क्योंकि उसकी पैंट की ज़िप खुली हुई थी।

तभी जेठा लाल नीचे आया और उसने एक मोटी गांड वाली औरत को देखा, जिसकी गांड को देखकर जेठा लाल का लंड फिर से उसके बस से बाहर निकल कर उसकी गांड में जाना चाहता था।

जेठा लाल की आँखें उस औरत की गांड पर टिक गईं। वो औरत थी सोसाइटी की मशहूर मधवी भाभी, जो अपने टाइट सलवार-कमीज़ में अपनी गांड को हिलाते हुए सीढ़ियों से उतर रही थी। जेठा लाल का लंड अब और बेकाबू हो गया, और उसकी खुली ज़िप की वजह से उसका लंड पैंट के बाहर झाँकने लग गया।

जेठा लाल ने जल्दी से अपनी शर्ट को नीचे खींचा, ताकि कोई उसका लंड न देख ले। पर मधवी भाभी की नज़र जेठा लाल पर पड़ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे जेठा जी, कहाँ जा रहे हो इतनी जल्दी?”

जेठा लाल हड़बड़ा गया और बोला, “बस मधवी भाभी, दुकान पर जा रहा हूँ। नटु काका का फोन आया था, शर्मा जी से मीटिंग है।”

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मधवी ने अपनी गांड को और हिलाते हुए कहा, “अच्छा, तो शर्मा जी से मीटिंग है? वैसे जेठा जी, आपकी पैंट की ज़िप तो खुली हुई है!”

जेठा लाल का चेहरा लाल हो गया। उसने झट से नीचे देखा और अपनी ज़िप बंद करने की कोशिश की, पर जल्दबाजी में ज़िप अटक गई। मधवी भाभी हँसने लगी और बोली, “अरे जेठा जी, आराम से, वरना लंड को चोट लग जाएगी!”

जेठा लाल को शर्मिंदगी महसूस हुई, पर मधवी की बात सुनकर उसका लंड और खड़ा हो गया। वो मन ही मन सोचने लगा, “ये मधवी भाभी भी ना, ऐसी बातें करती है कि लंड को और तड़पाती है।”

तभी मधवी ने अपनी चूत को हल्के से खुजलाते हुए कहा, “जेठा जी, अगर ज़िप ठीक नहीं हो रही, तो मेरे घर आ जाओ। मैं भिड़े जी की पैंट की ज़िप ठीक करने में माहिर हूँ।”

जेठा लाल का दिमाग घूम गया। वो सोचने लगा कि मधवी भाभी की बात में कुछ तो मज़ा है। उसने हँसते हुए कहा, “मधवी भाभी, आप तो मज़ाक कर रही हो, लेकिन मैं दुकान के लिए लेट हो रहा हूँ। फिर कभी आपकी ज़िप ठीक करने की कला देखूँगा।”

मधवी ने आँख मारते हुए कहा, “जेठा जी, मेरी कला तो आपकी दया भाभी की चूत से भी ज़्यादा मज़ेदार है।”

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जेठा लाल का लंड अब पूरी तरह से बेकाबू हो चुका था। वो जल्दी से सीढ़ियाँ उतरकर अपनी गाड़ी की तरफ भागा, ताकि मधवी भाभी की बातों से उसका लंड और न उछलने लगे। पर मन ही मन वो सोच रहा था कि आज दुकान पर जाने से पहले मधवी भाभी की गांड और चूत का ख्याल उसके दिमाग में घूमता रहेगा।

तभी रास्ते में उसे रोशन भाभी दिखी, जो अपने बालकनी में कपड़े सुखा रही थी। रोशन की साड़ी हवा में उड़ रही थी, और उसकी मोटी-मोटी स्तन जेठा लाल को साफ दिख रही थी। जेठा लाल का लंड फिर से तन गया, और उसने सोचा, “हाय राम, ये गोकुलधाम सोसाइटी है या लंड तड़पाने की फैक्ट्री!”

दोस्तों, अब देखते हैं कि जेठा लाल की ये खुली ज़िप और उसका तड़पता लंड दुकान पर जाकर क्या गुल खिलाता है।

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