मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

 है फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सब? उम्मीद है आपको मेरी ये कहानी पसंद आ रही होगी। इस चुदाई की कहानी का पिछला भाग हिंदी में यहाँ पढ़िए: भोगी भाई मेरे जिस्म का प्यासा-3

अब आगे…

भोगी – जा किचन में भीमा ने खाना बना लिया होगा, जाकर टेबल पर खाना लगा। और हाँ याद रखियो तू ऐसे ही रहेगी।

उसने मुझे रूम के दरवाजे की तरफ धक्का दे दिया, मेरे नंगे चूतड़ पर उसने थप्पड़ मारा। मैं अपने जिस्म को सिकोड़ते हुए और अपने हाथ अपने बूब्स और एक हाथ अपनी टाँगों को जोड़कर ढकने की नामुमकिन कोशिश करती हुई किचन में गई।

अंदर एक 45 साल का एक रसोइया था, उसने मुझे देखकर एक सीटी बजाई और मेरे पास आकर मुझे उसे सीधा खड़ा किया। क्योंकि मैं नीचे झुकी ही जा रही थी, पर मेरी चलने नहीं।

उसने जबरदस्ती मेरे सीने मेरे हाथ हटा दिया, और वो बोला – शानदार।

मुझे शर्म आ रही थी, मैं एक गँवार और अपने से नीचे के सामने अपनी इज्जत बचाने की कोशिश कर रही थी।

उसने फिर मेरा चूत वाला हाथ खींचकर हटा दिया, मैंने तभी अपनी टाँगें सिकोड़ ली। ये देख उसने मेरे बूब्स को मसल दिया, मैं उसे अपने बूब्स को बचाने के लिए झुकी जा रही थी। तो उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में पीछे की तरफ डाल दी।

मेरी चूत लंड के पानी से गीली हो रही थी, तो वो बोला – लगता है खूब चुदाई हो। शेर खुद खाने के बाद कुछ बोटियाँ गिद्धों के लिए भी छोड़ देता है। एक मौका साहब मुझे भी दे देंगे, तब मैं तेरी अच्छे से खबर लूँगा।

ये कहकर उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, तो मैं उसे धक्का देते हुए बोली – भोगी जी ने खाना लगाने को कहा है।

वो मुझसे अलग हुआ तो उसने मेरे होंठों पर किस कर लिया। तो वो बोला – चल कोई बात नहीं साली तुझे तो मैं तसली से चोदूँगा, पर एक बार साहब अपना मन तुझे भर ले।

फिर उसने मुझे खाने का सामान पकड़ा दिया। मैंने टेबल पर खाना लगा दिया, फिर डिनर मुझे भोगी भाई की गोद में बैठकर लेना पड़ा। वो भी पूरे नंगे थे, उनका लंड अभी सिकुड़ा हुआ था।

मेरी चूत की उसके नरम और गर्म लंड को चूम रही थी, खाते हुए वो मुझे काफी मसल और चूम रहा था। उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी, वो जब भी मुझे चूमता तो मुझे उस पर बहुत गुस्सा आता था।

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फिर उसने खाना खाते हुए उसका फोन आया और उसने उठाया – हेलो कौन, गवालेकर इंस्पेक्टर, साले क्या कर रहा है। अच्छा एक काम कर तू अभी यहाँ आजा। आज घर पर बोल देना कि लेट आऊँगा, वो बृज साहब की जमानत मेरी गोद में बैठी है।

ये कहते हुए उसने मेरे निपल्स को जोर काट लिया और मेरे मुँह से दर्द भरी आह्ह की आवाज निकली।

भोगी – सुना अब जल्दी से सारा काम छोड़कर आजा, आज रात भर हम दोनों की जाँच-पड़ताल करेंगे।

मैं समझ गई कि इसने वो इंस्पेक्टर भी रात को मेरी चुदाई के लिए बुला लिया है। अब ये दोनों रात भर मुझे मिलकर चोदेंगे, खाना खाने के बाद मुझे उसने अपनी बाहों में समेट लिया और ड्राइंग रूम में आ गया।

वो मेरे होंठों को अपने गंदे से होंठों से चूस रहा था, वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रहा था। फिर उसने मुझे नीचे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया और मेरी टाँगें खोलकर मुझे उसने अपनी टाँगों पर खींच लिया।

मैं उसका इशारा समझकर उसके लंड को चूमने लग गई, वो मेरे बालों में हाथ फेर रहा था। मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और उसके लंड को मैं चूसने लग गई।

मैं जीभ निकालकर उसके लंड के ऊपर फेरने लग गई थी। धीरे-धीरे उसका लंड हरकत में आता जा रहा था, वो मेरे मुँह में अब फूलने लग गया था। मैं और तेजी से उसके लंड पर अपना मुँह चलाने लग गई थी।

कुछ ही देर में लंड फिर से पूरी तरह से तनकर खड़ा हो गया था, वापस से उसे लेने के लिए मेरी चूत में खुजली होने लग गई थी। पर मेरी चूत का पहले से बुरा हाल हो गया था, मानो वो अंदर से झिल गई थी।

मैं इसलिए इसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर-नीचे करने लग गई, जिससे उसके लंड का पानी मेरे मुँह में ही निकल जाए। पर वो तो पूरा सांड की तरह स्टैमिना रखता था।

मेरी बहुत कोशिश के बाद उसके लंड से हल्का सा भी पानी नहीं निकला था। मैं अब थक गई थी, पर उसके लंड से पानी नहीं निकाल पाई। तभी गार्ड ने इंस्पेक्टर गवालेकर के आने के बारे में बताया।

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भोगी – हाँ उसे अंदर आने दो।

मैं जैसे ही उठने लगी तो उसने मेरे कंधे पर जोर दिया और वो बोला – साली तू कहाँ उठ रही है, चल अपना काम करती रह।

ये कहकर उसने अपना लंड फिर से मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने मुँह खोलकर फिर से उसका लंड मुँह में ले लिया। तभी गवालेकर अंदर आया, वो 6 फीट का लंबा अच्छे जिस्म वाला आदमी था।

मेरे ऊपर नजर पड़ते ही उसका मुँह खुला का खुला रह गया, मैंने तिरछी नजरों से उसे देखा।

गवालेकर हँसते हुए बोला – ओह भाई भोगी ये क्या मस्त नजारा है, आपने इस हूर की परी को कैसे वश में किया?

भोगी – आ बैठ ये बड़ी शानदार चीज है, मक्खन की तरह मुलायम और भट्टी की तरह गर्म है।

भोगी भाई ने मेरे सिर को पकड़कर उसकी तरफ घुमाया। और वो बोला – ये है अंजलि सिंह अपने बृज जी की वाइफ। इसने मुझे कहा कि मेरे पति को छोड़ दो, तो मैंने कहा कि रात भर के लिए मेरे लंड पर बैठक लगा फिर देखेंगे।

बहुत समझदार औरत है, झट से मान गई। अब ये रात तेरे पहलू को गर्म करेगी, जितनी चाहिए साली को जमकर थूक।

फिर गवालेकर मेरे पास आकर बैठ गया तो भोगी ने मुझे उसकी तरफ धकेल दिया। गवालेकर ने मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, और वो मुझे चूमने लग गया।

मुझे तो अब अपने ऊपर घिन सी आने लग गई थी। पर इनकी बात तो मुझे अब माननी ही थी वरना ये तो मुर्दे को भी नोच लेते थे। भोगी ने मुझे मेरा जिस्म साफ करने नहीं दिया था, इसलिए मेरे जिस्म पर जगह-जगह लंड के पानी के दाग और उसकी सूखी पपड़ी थी।

मेरे दोनों बूब्स पर दाँत के लाल निशान दिख रहे थे, और ये सब देखकर गवालेकर बोला – इसे देखकर लगता है, तू पहले से ही इससे काफी जमानत वसूल कर चुका है।

भोगी – हाँ मैंने सोचा पहले साली को देख तो लूँ कि ये अपने स्टैंडर्ड की है भी या नहीं।

मैं गवालेकर के पैरों में पड़ते हुए बोली – प्लीज साहब मुझे छोड़ दीजिए, सुबह तक तो मैं मर जाऊँगी।

गवालेकर ने मेरे निपल्स को अपनी दोनों उंगलियों से मसते हुए बोला – घबरा मत सुबह तक तो तुझे वैसे ही छोड़ देंगे। अब जिंदगी भर तुझे हमें अपने पास कोई रखना है।

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भोगी – साले अगर तूने अब और ज्यादा बकवास की तो मैं तेरे टट्टे दबा दूँगा, और साली तेरी अकड़ अभी भी शायद गई नहीं है।

ये कहकर उन्होंने भी मेरे बूब्स को ऐसा मसला, जिससे मेरी जान निकल गई थी। उस दर्द से मैं अपनी पूरी ताकत से चिल्लाई – आह्ह्हा आह्ह उई माँ मर गई।

भोगी – चल अब जा गवालेकर के लिए पेग बनाकर ला, और हाँ घुटनों के बल ही जाएगी।

फिर मैं घुटनों के बल डाइनिंग टेबल तक गई और मेरे बूब्स अब अनार की तरह लाल हो चुके थे। मैंने उसके लिए पेग बनाया और वापस आ गई।

भोगी – वेरी गुड अब पूरी पालतू कुतिया लग रही है।

गवालेकर ने मेरे हाथ से ग्लास लेकर मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। फिर उसने मेरे होंठों को छूते हुए एक पेग मारा। मैंने अपना चेहरा मोड़ लिया और मैं कभी जिंदगी में शराब को हाथ नहीं लगाया था।

क्योंकि हमारे में ऐसा नहीं चलता था, और बृज ने भी कभी शराब को टच तक नहीं किया था। उसने फिर से ग्लास को मेरे होंठों से लगा दिया, अब मैंने साँस को थोड़ा रोका और अपने मुँह में शराब भर ली।

मुझे उसकी बदबू से उल्टी आने वाली होगी थी, वो नाराज हो जाएँगे इसलिए मैंने जैसे-तैसे उसे पी लिया।

मैं – अब और नहीं प्लीज, मैं आप लोगों को कुछ भी करने से नहीं रोक रही हूँ। पर ये काम मुझसे नहीं होगा प्लीज।

पता फिर उन दोनों को क्या हुआ, उन्होंने मुझे और पीने को कहने लग गए।

अब गवालेकर ने मेरे जिस्म पर हाथ फेरने लग गया, और मेरे बूब्स को वो चूमते अपने ग्लास मुझे खाली कर दिया। फिर मुझे उसने अपनी गोद से उतारा और जमीन पर बिठा दिया।

मैं उनकी पैंट की जिप खोलकर उसके लंड को बाहर निकालकर उसे अपने मुँह में भर लिया। मैंने अपने एक हाथ से भोगी को लंड को सहलाना शुरू कर दिया, अब मैं बारी-बारी से दोनों के लंड चूस रही थी। और एक हाथ एक लंड को आगे-पीछे कर रही थी।

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