भाभी के आने के कुछ दिनों बाद मैंने देखा कि भैया भाभी से बहुत डरने लग गए हैं। वो उनकी हर बात, चाहे वो गलत हो या सही, झट से मान लेते थे।

एक दिन भाभी ने कहा – आज से मैं ही राज को तेल लगाऊँगी और उसे नहलाऊँगी।

मैं – आप ऐसा कैसे करेंगी?

भाभी – मैं राज की देखभाल ठीक से करूँगी, जैसे पहले होता आया है।

फिर भाभी मेरी देखभाल करने लग गईं। वो मेरे सारे कपड़े उतार कर मेरे पूरे बदन पर तेल लगाती थीं। इसके बाद वो मेरे लिंग पर तेल लगाकर उसकी अच्छे से मालिश करती थीं। फिर वो मुझे अपने साथ बाथरूम में ले जाती थीं और खुद भी अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे सामने नंगी हो जाती थीं। इसके बाद वो मुझे अपने हाथों से नहलाती थीं।

भैया की शादी के छह महीने बाद मेरी माँ का देहांत हो गया। उनके जाने से मैं काफी उदास रहने लग गया। इस दौरान भाभी ने मुझे समझाते हुए कहा।

भाभी – राज, तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारी पूरी तरह से देखभाल करूँगी, जिससे तुम्हें कभी अपनी माँ की याद नहीं आएगी।

मैं धीरे-धीरे भाभी के साथ पूरी तरह घुल-मिल गया। अब मुझे माँ की याद नहीं आती थी। जब कभी मैं शरारत करता था, तो भैया मुझ पर गुस्सा हो जाते थे। लेकिन जैसे ही भैया मुझे गुस्सा करते, भाभी उन्हें घूरकर देखतीं और भैया झट से चुप हो जाते थे।

धीरे-धीरे तीन साल गुजर गए। अब मुझे भाभी के सामने नंगे होने में शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी। जब भाभी मुझे पूरी तरह नंगा करके मेरे पूरे शरीर पर तेल लगाती थीं, तो मेरे लिंग पर तेल लगाने के बाद वो उसकी अच्छे से मालिश करती थीं। इससे मेरा लिंग खड़ा हो जाता था, और मैं और भी शर्मिंदा हो जाता था।

भाभी कभी-कभी मेरे लिंग को चूम भी लेती थीं। और भाभी अक्सर मजाक में मुझसे कहती थीं।

भाभी – तेरा लिंग अब जवान आदमी की तरह हो गया है। मुझे इसे देखकर बहुत अच्छा लगता है।

ये बात सुनकर मैं शरमा जाता था। तो मैंने भाभी से कहा – भाभी, अब मैं बड़ा हो गया हूँ। अब मैं खुद ही नहा लिया करूँगा।

भाभी – क्यों, अब तुझे शर्म आती है?

मैं – हाँ।

भाभी – बदमाश कहीं का, आज तक मैंने तेरे लिंग पर तेल लगाकर मालिश की है और तुझे नहलाया भी है। मुझे आज तक शर्म नहीं आई और अब तू मेरे सामने शरमा रहा है। जब तक तेरी शादी नहीं होती, तब तक मैं तेरे लिंग की मालिश करूँगी और तुझे नहलाऊँगी। अगर तूने ज़्यादा बदमाशी की तो मैं तुझे मारूँगी और तेरे भैया से तेरी शिकायत करूँगी, वो तुझे मारेंगे।

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मैं भैया से बहुत डरता था, इसलिए मैं चुप हो गया। भाभी अभी भी मेरे लिंग को लुल्ली ही कहती थीं। लेकिन अब धीरे-धीरे मेरा लिंग पूरी तरह विकसित हो गया था।

भाभी अभी भी मुझे भैया का डर दिखाकर मेरे लिंग पर तेल लगाती थीं और मुझे नहलाती थीं। भाभी के हाथ लगते ही मेरा लिंग एकदम से सख्त हो जाता था। जब भाभी मेरे लिंग पर तेल लगाती थीं, मुझे मस्ती सी होने लगती थी।

एक दिन मैंने भाभी से कहा – अब तो मैं जवान हो गया हूँ। मेरा लिंग भी अब पूरी तरह विकसित हो गया है। जब तुम मेरे लिंग पर तेल लगाती हो, तो मुझे कुछ-कुछ होने लगता है। और ये सख्त भी हो जाता है। अब मैं खुद ही नहा लिया करूँगा।

भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं – ठीक है, अब मैं तुझे नहीं नहलाऊँगी और ना ही तेल लगाऊँगी। अब तो खुश हो ना?

मैं – हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ।

इसके बाद मैं खुद ही अपने पूरे शरीर पर तेल लगाकर नहाने लग गया। धीरे-धीरे कुछ साल गुजर गए और मैं पूरी तरह जवान हो गया। अब मेरा लिंग पूरा 8 इंच का लंबा और मोटा हो गया था।

मैं अब भी पूरी तरह नंगा होकर नहाता था। मैं भाभी से ज़्यादा शर्माता भी नहीं था। इसलिए मैं बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखकर ही नहाता था।

भाभी भी मुझसे ज़रा सा नहीं शरमाती थीं। वो पहले की तरह ही पूरी तरह नंगी होकर नहाती थीं। और तो और, वो नंगी ही बाहर आ जाती थीं।

एक दिन मैं नहा रहा था, और भाभी बाथरूम के पास से गुजर रही थीं। तभी उनकी नज़र मेरे लिंग पर पड़ी। उन्होंने मेरे लिंग की तरफ इशारा करके मजाक में मुझसे कहा।

भाभी – बाप रे, तेरा लिंग तो अब एकदम खतरनाक हो गया है। इतना बड़ा लिंग तो मैंने आज तक कभी नहीं देखा। अब तू जवान हो गया है। अब तो तेरी शादी करनी ही पड़ेगी।

उनकी बात सुनकर मैं तौलिया लपेटने लग गया।

भाभी – पहले तू खूब मजे से अपने लिंग पर तेल लगवाता था, और अब तू मुझसे शरमा रहा है।

मैं शरमाते हुए बोला – भाभी, जाओ ना आप।

भाभी – अब बाथरूम का दरवाज़ा बंद करके नहाया कर, नहीं तो तेरे लिंग को मेरी नज़र लग जाए curricular।

मैंने मजाक में कहा – भाभी, आप हमेशा लुल्ली ही क्यों कहती हैं? ये तो अब लुल्ली से इतना बड़ा और मोटा लंड बन गया है। अब तो आप इसे मोटा लंड कह करो।

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भाभी – अच्छा बाबा, अब मैं इसे लंड ही कहूँगी। अब मैं जाती हूँ, तू नहा ले।

फिर भाभी चली गईं, और मैं नहाने लग गया। एक दिन भाभी उदास बैठी थीं, तो मैंने उनसे पूछा – क्या हुआ भाभी?

भाभी – कुछ नहीं हुआ है।

मैं – अरे बताओ ना भाभी।

भाभी – अरे, मेरी शादी को छह साल हो गए हैं, और आज तक मैं माँ नहीं बन पाई हूँ। सारा दोष तेरे भैया का ही है।

मैं – क्यों, अब भैया ने क्या किया?

भाभी – वो मुझे माँ बनने लायक ही नहीं हैं।

मैं – क्यों?

भाभी – मुझे शर्म आती है।

मैं – आज तक तो मुझसे नहीं शरमाईं, और आज आपको शर्म आ रही है?

भाभी – बात ही कुछ ऐसी है ना।

मैं – तो बताओ ना।

भाभी – तेरा लंड देखकर मैं सोचती हूँ, कि काश तेरे भैया का भी ऐसा लंड होता। तो आज मेरी कोख सूनी ना होती। मुझे उनसे मज़ा ही नहीं मिल पाता।

मैं – इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?

भाभी – अगर मैं तुझे एक बात कहूँ, तो तू बुरा तो नहीं मानेगा ना। क्योंकि ये बात ही कुछ ऐसी है, और मुझे ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए।

मैं – भाभी, आप मेरे लिए इतना कुछ करती हैं, तो क्या मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ? आप एक बार मुझे बताओ तो सही, करना क्या है?

भाभी – इतने सालों से मैंने तुझे पाल-पोस कर बड़ा करने में निकाल दिए। मैंने कभी माँ बनने के बारे में नहीं सोचा।

मैं – तुम बताओ तो सही, मुझे क्या करना है भाभी?

भाभी – मुझे शर्म आती है।

मैं – जब मैं शर्माता था, तो तुम गुस्सा होती थीं। अब तुम शरमा रही हो, तो मुझे क्या करना चाहिए, बताओ?

मेरी ये बात सुनकर वो हँस पड़ीं और बोलीं – मैं माँ बनना चाहती हूँ, और साथ ही साथ मैं चुदाई का मज़ा भी लेना चाहती हूँ। अगर तेरा कोई दोस्त हो, और उसका लंड तेरे जैसा हो तो…

इतना कहकर भाभी चुप हो गईं, और मैं बोला – मैं समझ गया भाभी, पर भैया को पता चल गया तो?

भाभी – वो क्या कर लेंगे? तू जानता ही है कि जब मैं उन्हें घूरकर देखती हूँ, तो वो चुप हो जाते हैं। वो मेरी हर सही-गलत बात को मान लेते हैं। वो ऐसा क्यों करते हैं, आज मैं तुझे बताती हूँ।

तेरे भैया का लंड बहुत ही छोटा है। उनका लंड खड़ा भी नहीं होता। उनके लिए चुदाई का काम भी बहुत मुश्किल है। उनका काम सिर्फ़ 2 मिनट में ही ख़त्म हो जाता है। यही कारण है कि मुझसे वो इतना डरते हैं।

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मैं – अच्छा, अब मैं समझा कि वो आपसे इतना क्यों डरते हैं।

भाभी – मुझे तेरे भैया से कोई डर नहीं है।

मैं – पर आस-पास के लोग?

भाभी – मैं यहाँ कोई नहीं चुदूँगी। मैं तेरे दोस्त के पास जाकर चुदूँगी। और तू मेरे साथ चलेगा।

मैं – मेरा एक दोस्त शिव है, वो अकेला ही रहता है। मैं उससे एक बार बात कर लूँ, फिर तुम्हें उसके पास ले जाऊँगा।

भाभी – मुझे तेरे जैसा ही लंड चाहिए, समझा।

अब मैं भाभी से ज़्यादा शर्माता नहीं था। मैंने झट से अपनी लुंगी उतारी और बोला।

मैं – फिर मेरे ही लंड से काम चला लो, इधर-उधर जाने की ज़रूरत ही क्या है?

भाभी ने मेरे लंड पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा – तू इसे अपने पास ही रख। ये मेरे लिए पुराना हो चुका है। मुझे एक नया और ताज़ा लंड चाहिए।

मैं – मैंने एक बार शिव का लंड देखा था। उसका लंड मुझसे भी लंबा और मोटा है।

भाभी – फिर ठीक है। तू उससे एक बार बात कर ले। पर किसी को कहेगा तो नहीं ना?

मैं – नहीं, वो किसी से कुछ नहीं कहेगा। वैसे भी एक महीने के बाद वो अपने घर चला जाएगा। उसका घर यहाँ से 200 किलोमीटर दूर है।

भाभी – फिर ठीक है।

मैं शिव के पास चला गया। मैंने शिव से बात की, तो वो बहुत खुश हो गया। फिर मैं उससे बात करके एक घंटे बाद वापस घर आया। भाभी बहुत बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रही थीं।

भाभी – काम हो गया?

मैं – हाँ, वो तैयार है।

भाभी – फिर कब चलना है?

मैं – जब तुम चाहो।

भाभी बहुत जोश में आ गईं और बोलीं – अभी चलूँ?

मैं – हाँ, चलो।

फिर दोपहर के 11 बजे थे। भाभी ने भैया को फोन करके बता दिया कि वो अपनी सहेली के घर जा रही हैं। और अब वो घर शाम के 5 बजे ही वापस आएँगी।

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