नमस्ते दोस्तों, कहानी के दूसरे भाग में आपका स्वागत है। अगर आपने मेरी चुदाई की कहानी का पहला भाग अभी तक नहीं पढ़ा तो पहले वह जरूर पढ़िए।
मेरे बाबू जी का मोटा लंड – भाग 1
अब आगे…
मेरी ये बात सुनकर वे जोश में आ गए, और मुझे दबाकर उन्होंने अपना लंड पूरे जोर से अंदर डाल दिया। मैं दर्द से चीख उठी, तो उन्होंने एक और धक्का मार दिया।
फिर उन्होंने पूरा लंड बाहर निकालकर फिर से अंदर डाल दिया। मैं फिर से चीख उठी। मेरे चीखने से वे शायद और जोश में आ गए थे। उन्होंने जोर-जोर से मेरी चूत में अपना लंड मारना शुरू कर दिया।
मैं पहले चीखती रही, पर अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लग गया था। फिर मैं सीधी लेट गई और अपनी साँसें ठीक करने लग गई। अब मैंने नीचे से धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाकर उनका साथ देना शुरू कर दिया।
अब मुझे भी मजा आने लग गया था। उनके मोटे लंड ने मेरी टाइट चूत को खोल दिया था। अब मैं भी उनसे चिपकने लग गई थी। मुझे अब बहुत मजा आने लग गया था।
मेरी चूत के अंदर खून और मेरी चूत का पानी मिलकर, लंड के लिए एक मस्त चिकना रास्ता बना रहे थे।
मैं: मारो मेरी चूत और फाड़ दो आज इसे पूरी।
मैं ये कहते हुए सिसकियाँ ले रही थी। राज के चेहरे पर अब पसीने की बूँदें झलक आई थीं, जो मेरे चेहरे पर टपककर नीचे गिर रही थीं। मैं चुदाई में मस्त होती जा रही थी।
ऐसे मस्त और जांदार लंड जब जमकर चूत चोदते हैं, तो समझ जाओ ये लंड आपको जन्नत की सैर जरूर करवा देते हैं। मुझे भरपूर मजा आ रहा था। राज की कमर मस्त चल रही थी।
मुझे उनका लंड पूरा मजा दे रहा था, पर हाय राम, मेरी चूत भी आखिर कब तक इस मोटे लंड को सहन कर पाती। मेरी तो जान ही निकली जा रही थी। इसलिए मैं बोली:
मैं: आह आह माँ, मैं तो मर गई, मेरा रस निकलने वाला है। बस करो बाबू जी, मेरी चूत का पानी निकल गया है। अब आप भी अपना निकालो ना।
राज: ये ले, मैं भी अब और कितनी देर टिकता। ये ले मेरी लच्छो रानी, अपना मुँह खोल और मेरे लंड का सारा पानी चूस ले।
राज ने अपना लंड एकदम से मेरी चूत से निकाला, और अपने हाथ में पकड़कर वह हिलाने लग गए। अब उनके लंड का सारा पानी मेरे पूरे चेहरे पर फैल गया। उनका पानी काफी देर तक निकला।
और उनके लंड का पानी काफी सारा था। मैंने उनके लंड के पानी को अपने हाथों से अपने पूरे चेहरे पर मल लिया। पहले तो वह मुझे बहुत ही गंदा लग रहा था, पर जब मैंने थोड़ा सा उसे अपनी जीभ से चाटा।
तो मुझे वह बहुत प्यारा लगा और मैं उसे सारा चाट गई। फिर हम दोनों एक-दूसरे के साथ नंगे ही लेट गए।
राज: मेरी लच्छी, मैंने बहुत सालों से चूत नहीं मारी थी। आज तूने मुझे स्वर्ग का मजा दे दिया है।
मैं: हाँ बाबू जी, एक औरत की कमी तो एक औरत ही पूरी कर सकती है ना। और आपका लंड भी बहुत मस्त है।
राज: अब ये ले लच्छी, पूरे 2000 रुपये। 1000 रुपये तेरी चूत चुदाई के, और 1000 रुपये जो मैंने तुझे दर्द दिया उसके।
मैं तो उनकी तरफ देखती ही रह गई, क्योंकि मुझे 1000 की जगह 2000 रुपये मिल रहे थे। फिर राज ने मुझे किस किया और मैं शरमाकर मुड़ गई।
मैं: बाबू जी, शाम को फिर से आपको खुश करने आऊँगी, और इस बार कोई पैसा भी नहीं लूँगी।
ये कहते हुए मैं पीछे मुड़कर मुस्कुराते हुए वहाँ से भाग उठी। मेरी चूत उस भारी लंड से चुदने के कारण दर्द कर रही थी, और शायद वह थोड़ी सूज भी गई थी।
जब मैंने अपनी चूत को देखा तो वह लाल हो चुकी थी। मैंने अपनी चूत पर दवा लगाई। फिर मैंने 2000 रुपये को प्यार से देखा और उन्हें संभालकर रख दिए।
फिर शाम को जब मैं फिर से राज के घर गई, तो उन्होंने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और मुझे बेड पर धक्का दे दिया।
राज: ये काम छोड़ो और आज तुम मेरी सेवा करो। मैं तुम्हें इसके खूब पैसे दूँगा।
मैं: ना बाबू जी, अब नहीं। मेरी चूत का कचूमर बन गया है। अब जबरदस्ती मत करो। अब मुझे ना चोदो, मुझे दर्द हो रहा है। और मुझे अब पैसे नहीं चाहिए।
राज: लच्छो रानी, अगर चूत में दर्द है, तो अपनी गांड मरवा ले। पर देख, मना मत करियो।
मैं: बाबू जी, मैंने अपनी गांड ज्यादा नहीं मरवाई है। पर आप आज मेरी गांड भी मार लो।
राज: चल फिर घोड़ी बन जा।
मैंने उन्हें पैसे के लिए मना किया था, पर मुझे पता था कि वे मुझे जरूर पैसे देंगे। इसलिए मैंने अपना घाघरा ऊपर करके जल्दी से घोड़ी बन गई। मेरी चिकनी गांड देखकर उनका लंड झट से खड़ा हो गया।
मैं: बाबू जी, जरा नीचे भी देखो। आपने मेरी चूत का क्या पकौड़ा बना दिया है।
पर मेरी गांड को देखकर वे कुछ नहीं बोले, और तेल में अपनी एक उंगली डुबाकर उन्होंने वह उंगली मेरी गांड में डाल दी। ऐसे वे मेरी गांड को अंदर से चिकना करने लग गए। फिर उन्होंने अपने लंड पर तेल लगाया और अब लंड और गांड दोनों चुदने के लिए तैयार थे।
राज: लच्छो, तैयार हो जा। ये लंड अब तेरी गांड में जाएगा।
मैं: हाय बाबू जी, जरा धीरे से डालना।
पर मेरी सुनता कौन। जैसे लंड का टोपा गांड में गया, उन्होंने झट से धक्का मारकर लंड अंदर डाल दिया। मेरे मुँह से चीख निकल पड़ी और मैं बोली: हाय राम, आप तो मेरी गांड को फाड़ दोगे आह।
राज: चुप कर साली, मुझे तो मजा आ रहा है। बहुत सालों बाद कोई मिली है, मजा लेने दे मुझे।
उनका दूसरा बेदर्द धक्का मुझे अंदर तक हिला गया। उनका लंड मेरी गांड के हिसाब से बहुत बड़ा और मोटा था, और अब उनके दिल में मेरे लिए जरा सा भी रहम नहीं था।
तेल भी अब ज्यादा काम नहीं कर रहा था। मेरी गांड की अंदर की दीवार शायद अब छील गई थी। अब उनकी स्पीड तेज हो गई। अब उनका लंड अब मुझे अंदर छोट मारने लग गया।
दर्द के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए, और मेरे होंठ सीले हुए थे। मैं दर्द को बर्दाश्त कर रही थी। लंड को अंदर डालते हुए उन्हें एहसास हुआ कि शायद वे बहुत ज्यादा बेरहम हो गए हैं।
इसलिए उन्होंने लंड बाहर निकाल लिया, और मैं एकदम से तारफ निढाल होकर लेट गई। पर अभी तक राज के लंड का पानी नहीं निकला था, पर उनका लंड बहुत जोर मार रहा था।
मैंने अपनी आँखों के आँसू साफ किए और मैंने अपने मुँह की तरफ इशारा किया। फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। वे धीरे-धीरे अब मेरा मुँह चोदने लग गए। मैंने भी उनका लंड पकड़कर मुठ मारना शुरू कर दिया।
उनका लंड मस्ती में आ गया था और एकदम फूल उठा। मौका देखते हुए मैंने उनके लंड को मुट्ठी में कस लिया और जोर-जोर से घुमाकर मैं उसे मोड़ने लग गई।
मेरे मुँह में धक्कों की स्पीड अब तेज हो गई थी। मेरे मुँह में भी छोट लग रही थी। उनका लंड कभी-कभी मेरे गले में उतर रहा था। मैं उसका लंड दबा-दबाकर उसका पानी निकालने की कोशिश कर रही थी।
आखिर में लंड एकदम से टाइट हो गया, और लंड ने मेरे गले में अपना सारा पानी निकाल गया। मैं कुछ नहीं कर पाई, और उनका पानी मेरे गले में निकलता ही चला गया।
उनका लंड मेरे गले में फव्वारे छोड़ रहा था। मैं सारा पानी सीधे ही पी गई। राज ने लंड को मेरे मुँह से बाहर निकाला और लंड को झटका। फिर लंड पर लगे थोड़े से पानी को मेरे होंठों पर रगड़कर साफ कर दिया।
मैंने उसे भी अपनी जीभ निकालकर चाट लिया। अब राज धीरे से मुझ पर लेट गया और मुझे प्यार से किस करने लग गया। मुझे अंदर तक उनका प्यार महसूस हुआ, और फिर मैंने मजे में अपनी आँखें बंद कर लीं।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उनके जिस्म का भार जैसे ही मेरे जिस्म से कम हुआ, तभी मैं होश में आ गई। मेरी गांड और चूत आज बहुत दर्द कर रही थीं, पर मुझे एक अलग ही मजा भी आ रहा था।
राज ने मुझे फिर 5000 रुपये दिए, जिसे लेने से मैंने मना कर दिया। मेरे दिल में पैसे लेने की इच्छा थी, पर जो मुझे मजा मिला था उसका कोई मोल नहीं था। मैंने चुपके से उनसे पैसे ले लिए।
मैं: बाबू जी, आज आपने मुझे आसमान पर बिठा दिया। पर देखो, आपने मेरी चूत और गांड का क्या हाल कर दिया है।
राज: लच्छी, अब तुम कहाँ जाओगी। अब तुम मेरी लाडली बन चुकी हो। अब तुम कुछ दिन आराम करो, और फिर से हम मस्ती करेंगे। फिर से हम तन और मन से स्वर्ग की सैर करेंगी।
मैं राज से लिपट गई और उन्हें किस करते हुए बोली: आप कितने भोले हो साहब। मैं आपकी आज से दासी बन चुकी हूँ। अपनी लाडली को अपने सीने में छुपा लो, मुझे कभी तुम छोड़ना मत।
राज ने मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे बेड पर लिटाकर वे फिर से मुझे प्यार करने लग गए।
मैं उनके प्यार में खो गई और आने वाले दिनों के सपने देखने लग गई।
तो दोस्तों, मुझे पूरी-पूरी उम्मीद है कि आपको मेरी गांड चुदाई में बहुत मजा आया होगा। तो मैं आशा करती हूँ कि आप अपनी वाइफ या गर्लफ्रेंड की अब जरूर गांड मारेंगे।
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