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दोस्तों ये इस चूत चुदाई कहानी का 5वाँ भाग है, इसे पहले आप कृपया 4वाँ भाग जरूर पढ़ें: भोगी भाई मेरे जिस्म का प्यासा-4

अब आगे…

काफी तक वो दोनों शराब पीते रहे, फिर गवालेकर ने उठकर मुझे झटके से अपनी गोद में उठा लिया और वो मुझे बेडरूम में ले गया। बेडरूम में आकर मुझे उसने बेड पर पटक दिया।

भोगी भाई भी उसके साथ-साथ अंदर आ गया, वो तो पहले से ही नंगा था तो अब गवालेकर अपने कपड़े उतारने लग गया।

मैं बेड पर लेटी उसे कपड़े उतारते हुए देख रही थी, मैंने उसके अगले कदम के बारे में सोचकर अपने पैर खोल लिए। मेरी चूत अब दिखने लग गई थी, गवालेकर का लंड भी भोगी के लंड के जैसा मोटा और काफी लंबा था।

वो अपने कपड़े साइड में फेंककर बेड पर चढ़ गया, मैंने उसका लंड अपने हाथ में लेकर अपनी चूत की तरफ खींचा। पर वो आगे नहीं बढ़ा उसने मुझे अपनी बाहों में पकड़कर मुझे उलटी कर दिया, और मेरे चूतड़ों से वो चिपक गया।

अपने हाथों से उसने मेरे चूतड़ों को अलग-अलग करके मेरी गाँड के छेद पर उंगली फेरने लग गया। मैं उसका इरादा समझ गई कि अब वो मेरी गाँड फाड़ेगा।

मैं डर से गई और उठी, क्योंकि मैंने आज तक गाँड चुदाई नहीं करवाई थी।

तो मैं अनजान की तरह बोली – मैंने सुना है गाँड चुदाई में बहुत दर्द होता है, और गवालेकर का इतना मोटा और लंबा लंड कैसे जाएगा?

भोगी ने फिर उसे एक क्रीम की डिब्बी दी, और फिर उसने काफी सारी क्रीम मेरी गाँड के छेद पर उंगली से अंदर तक लगा दी। उसकी उंगली गाँड के अंदर जाते ही मैं उछल पड़ी।

पता नहीं आज मेरी क्या हालत होने वाली थी, इन आदमखोरों से रहम की कोई उम्मीद करना ही बेवकूफी थी। भोगी मेरे चेहरे के सामने आकर अपने लंड मेरे मुँह में डालने लग गया। मैं छटपटा रही थी, तो उसने मुझे जोर से पकड़ लिया।

अब मेरे मुँह से गूँ-गूँ की आवाज आ रही थी, मेरे गोल-गोल चूतड़ खोलकर गवालेकर ने अपना लंड मेरी गाँड के छेद पर सेट किया। फिर उसने एक तेज धक्का मारा, उसके लंड का आगे का हिस्सा मेरी गाँड में जगह बनाते हुए अंदर चला गया।

मेरी दर्द से हालत खराब हो गई थी, मेरी आँखें बाहर की ओर आ गई थी। वो कुछ देर उसी पोजीशन में रुका रहा, दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने दोगुने जोश से एक जोरदार धक्का मारा।

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मुझे ऐसा लगा मानो एक मोटा मूसल मेरी गाँड के अंदर चला गया है। वो इस तरह से कुछ देर तक रुका रहा, और फिर उसने अपने लंड को हरकत दे दी। अब मेरी जान निकलती जा रही थी, वो दोनों आगे-पीछे से अपने-अपने लंडों से मेरी कुतिया कर रहे थे।

धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लग गया, फिर तो दोनों तरफ से तेज-तेज धक्के लगने लग गए। दोनों में मानो रेस लग रही हो, कि कौन देर तक रुकता है। मगर मेरी हालत की किसी को कोई चिंता नहीं थी, भोगी भाई का स्टैमिना की तो मैं लोहा मानने लग गई थी।

करीब एक घंटे के बाद दोनों ने अपने-अपने लंड से पिचकारी छोड़ी, मेरे दोनों छेद टपकने लग गए। फिर रात भर न वो खुद सोए और न ही मुझे सोने दिया।

सुबह तब तो मैं बेहोशी की हालत में हो गई थी, सुबह दोनों मेरे जिस्म को जी भरकर नोचने के बाद चले गए। जाते-जाते भोगी भाई अपने नौकर से बोल गया।

भोगी – इसे गर्म दूध पिला दो, इसकी हालत थोड़ी ठीक हो तो इसे घर तक छोड़ आना। और हाँ अगर तेरा मन तो तू इसका मुँह थोड़ी देर चोद लेना।

मैं बेड पर किसी हालचाल के पड़ी थी, मेरी दोनों टाँगें खुली हुई थी। मेरे पैरों में अभी भी सैंडल थी, मेरे तीनों छेदों पर लंड के पानी के निशान थे। पूरे जिस्म पर बिना किसी गिनती दाँतों के निशान थे।

मेरे बूब्स पर निपल्स सूजे हुए थे, कुछ ये ही हालत मेरी चूत की थी। मैं फटी हुई आँखों से उन दोनों को देख रही थी। फिर गवालेकर ने अपनी पैंट पहनी और वो बोला – तू अपने घर जा तेरे पति को 2 घंटे में मैं छोड़ दूँगा। और भाई भोगी मजा आ गया यार क्या पटाखा ढूंढा है तूने खुश कर दिया आज।

और हाँ रंडी आज के बाद तुझे कभी हमारी जरूरत पड़े तो बता देना। तेरे लिए जान हाजिर है।

भाई मुस्कुरा दिया और फिर दोनों तैयार होकर निकल गए। मैं वैसे ही नंगी बेड पर लेटी हुई थी। तभी भीमा दूध लेकर आया और मुझे सहारा देकर उसे उठाया।

मैंने उसके हाथों से दूध का ग्लास ले लिया, और उसने मुझे एक पेन किलर भी दे दी। मैंने दूध का ग्लास खाली कर दिया, उसने खाली ग्लास हाथ में लेकर मेरे होंठों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया।

वो कुछ देर तक मेरे होंठों को चूमता रहा और फिर धीरे-धीरे मेरे जिस्म पर हाथ फेरता रहा। फिर वो उठा और डेटॉल से मेरे जख्मों पर लगाने लग गया। अब मेरे जिस्म में कुछ जान मुझे महसूस हो रही थी।

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फिर कुछ देर बाद आकर उसने मुझे उठाया और मुझे बाथरूम में ले गया। वहाँ काफी तक उसने मुझे गर्म पानी में नहलाया, मेरा जिस्म साफ करने वो मुझे बेड पर ले गया।

फिर उसने मुझे मेरे कपड़े दिए, वो जैसे ही जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मेरी आँखों में उसके लिए एहसानमंदी के भाव थे, मैं उसके करीब आकर उसके जिस्म पर लिपट गई।

मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी, मैं खुद उसका हाथ पकड़कर बेड पर उसे ले आई। मुझे उससे लिपटते हुए उसकी पैंट की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लग गई।

मैं उसके एहसान का अब बदला चुकता देना चाहती थी, वो मेरे होंठों को मेरी गर्दन को मेरे गालों को चूमने लग गया। फिर मेरे बूब्स पर वो हल्के से हाथ फेरने लग गया।

मैं – प्लीज मुझे प्यार करो, और इतना प्यार करो कि कल रात जो-जो मेरे साथ हुआ वो सब मैं भूल जाऊँ।

वो अब मेरे एक-एक अंग को प्यार से चूमने लग गया, वो मेरे एक-एक अंग को सहलाते हुए चूम रहा था। मैं उसके होंठ फूल की पंखुड़ियों की तरह अपने पूरे जिस्म पर महसूस कर रही थी। अब मैं खुद भी गर्म होने लग गई थी, मैं खुद ही उससे लिपटने और उसे चूमने लग गई थी।

उसका हाथ मैंने अपने हाथ में लेकर अपनी चूत पर रख दिया। वो मेरी चूत को सहलाने लग गया, फिर उसने मुझे बेड के कोने पर बिठा दिया। अब वो खुद झुककर मेरे पैरों को अपने कंधों पर रखकर मेरी चूत को चाटने लग गया।

उसकी जीभ मुझे साँप की तरह लग रही थी, जो मेरी चूत में घुसे जा रही थी। मैंने उसके सिर को अपने हाथों में ले रखा था, अब मैं उसके बालों को सहला रही थी। और उसके सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी।

मेरे मुँह से अब आहह आहह की आवाजें निकल रही थी, कुछ देर बाद मैं उसके मुँह में भी झड़ गई। मेरे जिस्म में से सारा पानी उसके मुँह में चला गया था, वो मेरी चूत के पानी को अपने मुँह से खींच-खींच कर पी रहा था।

कल रात से मैं न जाने की कितनी बार चुदाई थी, पर भीमा ने आज इस हरकत से मेरी चूत का असली पानी निकाला था। भीमा के साथ मैं पूरे दिल से चुदाई करवा रही थी।

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इसलिए मुझे अब बहुत अच्छा लग रहा था, मैंने उसे फिर बिस्तर पर पटक दिया। अब मैं उसके ऊपर सवार हो गई थी, उसके जिस्म से मैंने कपड़ों को नोचकर फाड़ दिया था।

उसका मोटा लंड पूरा खड़ा हुआ था, फिर मैं उसके लंड को चूमने और चूसने लग गई। फिर उसने उठने की कोशिश की तो मैं उसे घूरते हुए बोली – चुपचाप पड़ा रह। मेरे जिस्म के मजे लेना चाहता था ना, तो अब क्यों भाग रहा है।

मैंने उसे सीधा लेटा दिया, और मैंने उसके लंड पर अपनी चूत कर दी। मैंने अपने हाथों से उसके लंड को अपनी चूत पर सेट किया और मैं उसके ऊपर बैठ गई।

उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया। फिर तो मैं उसके लंड पर उठने और बैठने लग गई। मैंने सिर पीछे की ओर झटक दिया और अपने हाथों को मैं उसके सीने पर फेरने लग गई।

वो मेरे बूब्स को सहला रहा था, और मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से मसल रहा था। इससे मेरे निपल्स खड़े हो गए, काफी देर तक इसी पोजीशन में चुदाई करवाने के बाद मैं नीचे लेट गई।

अब मैंने अपने पैर उसके कंधे पर रख दिए, इससे उसकी चूत ऊपर हो गई थी। अब लंड चूत में जाता हुआ साफ दिख रहा था। हम दोनों गर्म होकर एक साथ झड़ गए। वो मेरे जिस्म पर ही लुढ़क गया, और तेज-तेज साँसें लेने लग गया।

मैं उसके होंठों पर एक प्यार भरा किस देने लग गई, और फिर मैं नीचे उतर गई और तैयार होने लग गई। भीमा मुझे मेरे घर तक छोड़कर आया, दोपहर को मेरे पति रिहा होकर घर आ गए।

भोगी भाई ने अपना बयान बदल लिया था, मैंने उन्हें उनकी जमानत की कीमत कभी नहीं बताई थी। पर अगले दिन ही मैंने उन्हें वो कंपनी छोड़कर यहाँ से जाने के बारे में मैंने उन्हें कह दिया।

शायद उन्हें अपनी रिहाई की कीमत के बारे में पता चल गया था। इसलिए उसने भी मुझे ना नहीं किया, और हम कुछ ही दिनों में अपना थोड़ा-बहुत सामान लेकर वो शहर ही छोड़कर वापसी आगरा में चले आए।

तो दोस्तों ये ही मेरी पूरी कहानी, मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको मेरी ये कहानी बहुत अच्छी लगी होगी। मुझे आज भी वो रात याद आती है तो डर जाती हूँ।

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