मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

दोस्तों, मेरा नाम आकाश है, और मैं गुरुग्राम में रहता हूँ। ये कहानी उस समय की है जब मैं कॉलेज में अभी-अभी गया ही था। हमारे घर में किराए पर नए किरायेदार आए थे।

हमारे किरायेदार की पत्नी बहुत ही सुंदर थी। वो हिमाचल की रहने वाली थी, और आपको तो पता ही है कि हिमाचल की औरतें और लड़कियाँ कितनी सुंदर होती हैं। उसका नाम पम्मी था और उसकी उम्र 27 साल थी। उसका रंग एकदम दूध जैसा गोरा था।

उसके दोनों बूब्स एकदम गोल-गोल थे। उन दिनों मैं बहुत सारी एडल्ट किताबें पढ़ता था। इस वजह से मुझे पहले से ही सेक्स की काफी जानकारी हो गई थी। बस हर समय मेरा दिल चूत मारने का करता था। और जब मैं पम्मी आंटी को देख लेता था, तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो जाता था।

पम्मी को कुछ कहने में भी डर लगता था, क्योंकि वो मुझे अभी भी बच्चा ही समझती थी। इसलिए मैं मुठ मारकर अपना काम चला रहा था। मैं तो पम्मी के बूब्स को देखने के लिए बेचैन रहता था। जब वो अपने कमरे में झुककर झाड़ू लगाती थी, तो उसके सेक्सी बूब्स के दर्शन मुझे हो जाते थे। दोस्तों, अब तक तो मैं उसके बूब्स ही देखता था।

लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खुल गई और मैंने पम्मी को पूरा नंगा देख लिया। उस दिन हुआ कुछ ऐसा कि मैं वैसे भी उसके कमरे में ऐसे ही जाता रहता था, ताकि मैं उसे देख सकूँ।

एक दिन मम्मी ने पम्मी को कुछ देने के लिए मुझे भेजा। मैं दरवाजा बिना खटखटाए ही पम्मी के कमरे में चला गया। उस दिन पम्मी अपने कपड़े बदल रही थी, और वो एकदम नंगी थी।

जैसे ही मैंने उसे देखा, मेरे जिस्म में एक करंट-सा दौड़ उठा। वो शरमाकर बेड के पीछे छिप गई, और मैं कमरे से बाहर आ गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, क्योंकि ऐसा हसीन नजारा मैंने पहली बार देखा था।

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मुझे थोड़ा बुरा भी लग रहा था, क्योंकि मैं बिना नॉक किए अंदर चला गया था। लेकिन दिल में एक खुशी भी थी कि चलो, इसी बहाने मैंने पम्मी को नंगा देख लिया।

जिस दिन से मैंने पम्मी आंटी को नंगा देखा था, तब से मेरे अंदर उन्हें चोदने की तमन्ना और ज्यादा बढ़ चुकी थी। रात को बस वही मेरे सपनों में आती थी।

पम्मी आंटी के पति एक फौजी थे। उनकी हफ्ते में 1 दिन ड्यूटी होती थी, और 1 हफ्ते रात को ड्यूटी होती थी। तो वो मुझे अपने कमरे में सोने के लिए बुला लेती थीं। क्योंकि उन्हें अकेले सोने में डर लगता था। वो तो मुझे अभी बच्चा ही समझती थीं। इसलिए मुझे अपने साथ सुला लेती थीं। लेकिन उन्हें क्या पता था कि मैं उन्हें सोचकर रोज उनके नाम की मुठ मारता हूँ।

रात को जब वो गहरी नींद में होती थीं, तो मैं धीरे से उनके बूब्स और चूतड़ों पर हाथ फेर देता था। दिल तो करता था कि अभी के अभी मैं उन्हें चोद दूँ, लेकिन मैं इससे बहुत डरता था कि कहीं ये मेरे घर में न बता दें।

एक दिन मैं उनके साथ कमरे में सो रहा था, और पम्मी आंटी साड़ी डालकर सो रही थीं। उनके ब्लाउज़ में से उनके सेक्सी बूब्स बाहर आने को हो रहे थे। उनके बूब्स को देखकर मेरा और मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था।

जब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने अपना लंड बाहर निकालकर मुठ मारने लग गया। तभी पम्मी आंटी जाग गईं और वो बोलीं, “ये तू क्या कर रहा है?”

मैं डर गया और मैंने कहा, “मैं तो कुछ भी नहीं कर रहा हूँ।”

फिर मैं चुपचाप सो गया। सुबह आंटी मुझसे नजरें नहीं मिला रही थीं। मुझे डर लग रहा था कि कहीं आंटी ये सब मेरे घर में न बता दें।

अगले दिन वो मुझसे बोलीं, “बता, तू रात को क्या कर रहा था?”

मैं कुछ नहीं बोला, तो आंटी बोलीं, “मुठ मार रहा था ना?”

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मैंने कहा, “हाँ।”

पम्मी आंटी, “किसके बारे में सोचकर मार रहा था?”

मैं, “आपके बारे में सोचकर।”

पम्मी आंटी, “अच्छा, चल ठीक है। तुझे अब मुठ मारने की जरूरत नहीं है। तू मेरे साथ ही कर लिया कर रात को, जब हम दोनों साथ में सोएँगे।”

ये सुनकर मैं खुशी से झूम उठा। अब मेरे इंतज़ार के पल बहुत मुश्किल से कट रहे थे। मैं सारा दिन रात होने का इंतज़ार कर रहा था। फिर जब मैं रात को सोने के लिए उनके कमरे में गया, तो पम्मी आंटी एकदम तैयार होकर बैठी थीं। मेरे मन में थोड़ी-सी हिचकिचाहट भी हो रही थी। क्योंकि एक तो मैंने कभी सेक्स नहीं किया था, और दूसरा ये कि वो मुझसे उम्र में काफी बड़ी थीं।

पम्मी आंटी, “इतना क्यों शरमा रहे हो?”

मैं अब आंटी के पास बैठ गया और उन्हें टच करते ही मेरी नस-नस में आग-सी लग गई। मेरा लंड एकदम तनकर पैंट फाड़ने को हो गया था।

पम्मी आंटी, “तेरे लंड को बहुत जल्दी लगी हुई है मेरी चूत में घुसने की?”

मैं, “हाँ, बेचारे ने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया है ना।”

अब मेरी शर्म खत्म हो गई थी। मैंने आंटी के ब्लाउज़ में हाथ डाला और उनके बूब्स को दबाने लग गया। मैं उनके रसीले होंठों का मज़ा अपने होंठों से ले रहा था।

आंटी भी बहुत बुरी तरह से मेरे होंठों को चूस रही थीं। मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था। काफी देर तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे। मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोलकर उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया।

आंटी के मोटे-मोटे बूब्स ऐसे लग रहे थे, जैसे कश्मीर के सेब हों। फिर मैंने उनके बूब्स को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लग गया। आंटी के मुँह से सिर्फ सिसकियाँ निकल रही थीं, और मैं उनके बूब्स को चूस रहा था।

आंटी, “अकेले ही चूसते रहोगे या मुझे भी कुछ चूसने दोगे?”

मैं उनका इशारा समझ गया कि अब ये मेरा लंड चूसना चाहती हैं। तो मैंने अपनी पैंट खोल दी और पैंट खुलते ही मेरा लंड एक झटके से बाहर आकर ऐसे खड़ा हुआ, जैसे कुतुब मीनार खड़ा है।

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उसने मेरे लंड को हाथ में लिया और वो बोली, “मैं तुझे बच्चा समझती थी, लेकिन तेरा लंड तो मेरे पति से भी काफी बड़ा है।”

अब वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी, जैसे वो कोई आइसक्रीम चूस रही हो। मैंने अपना लंड उसके मुँह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मुझे भी लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं, “अब इस लंड को खाकर ही छोड़ेगी क्या?”

फिर उसने मेरा लंड छोड़ दिया और मैंने उसे बेड पर लिटा दिया। अब मैं उसके बूब्स को चूसने लग गया। मैं उसके बूब्स को चूसते हुए जोर-जोर से काट रहा था। जिससे वो जोर-जोर से चिल्ला रही थी और वो बोली, “क्या तू इन्हें खाकर मानेगा?”

मैं, “क्या करूँ, तुम्हारे बूब्स ही एकदम मस्त हैं। इन्हें खाने का मन कर रहा है।”

फिर मैंने आंटी को सीधा लिटा दिया, और उसने अपनी दोनों टाँगें खोल लीं। अब मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लग गया। तो वो बोली, “अब तड़पा क्यों रहा है? अंदर डाल मेरी चूत में।”

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा, जिससे मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैंने अब धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, और आंटी भी नीचे से अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ देने लग गई।

पम्मी आंटी, “आह आह, ऐसे ही मुझे चोदते रहो बस।”

अब पूरे कमरे में फच-फच की आवाज़ें गूँज रही थीं। और थोड़ी देर बाद हम दोनों डिस्चार्ज हो गए। करीब 15 मिनट तक ऐसे ही हम दोनों लेटे रहे, और फिर हम दोनों अलग हो गए।

आज की तारीख में अंकल की ड्यूटी बाहर लग गई है, क्योंकि लॉकडाउन है, तो वो बाहर ड्यूटी कर रहे हैं। अब आंटी के पास मैं ही सोता हूँ। अब मैं रोज रात को उनकी चूत और गांड मार रहा हूँ।

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