मुंबई की वह तंग चॉल थी, जहाँ घर एक-दूसरे से सटे हुए थे, और गलियों में दिन-रात भीड़ रहती थी। मैं, सचिन, 29 साल का जवान लड़का, एक किराए के कमरे में रहता था। मेरी नौकरी मुंबई के एक ऑफिस में थी, और मैं अकेला रहता था। मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड हमेशा किसी चूत की तलाश में रहता था। उसकी टोपी गीली होकर चमकती थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं, जैसे कोई हथियार जो चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो। ऑफिस से लौटने के बाद मेरी शामें अक्सर बोरिंग होती थीं, लेकिन फिर मेरी नजर पड़ोसन भाभी पर पड़ी।
भाभी का नाम स्मिता था। वह 32 साल की थी, गोरी, भरे हुए शरीर वाली औरत। उसके स्तन बड़े, गोल और रसीले थे, जैसे दो पके हुए संतरे, जो उसकी टाइट साड़ी में हमेशा उभरे रहते थे। उसके निप्पल साड़ी के नीचे से हल्के से दिखते थे, जैसे दो सख्त गुलाबी मोती जो बाहर निकलने को तड़प रहे हों। उसकी कमर पतली थी, और उसकी गांड मोटी, मुलायम और गोल थी, जो चलते समय लचकती थी। उसकी जांघें मोटी और चिकनी थीं, जैसे मक्खन की ढेरी, और उसकी चूत की गर्मी उसकी हर हरकत से झलकती थी। उसका पति, जो एक टैक्सी ड्राइवर था, रात को देर से घर आता था या कभी-कभी बाहर ही रहता था। स्मिता भाभी अकेली रहती थी, और उसकी आँखों में एक भूख थी, जो मुझे मेरे लंड की ओर खींच रही थी।
एक दिन की बात है। मुंबई में अगस्त की उमस भरी रात थी, और पंखा बंद हो गया था। मैं अपने कमरे की गैलरी में खड़ा था। पसीने से मेरी बनियान भीग गई थी, और मेरा लंड पायजामे में सख्त होकर उभार बना रहा था। तभी स्मिता भाभी अपनी गैलरी में आई। वह पतली साड़ी में थी, और उसका पसीना उसके स्तनों पर चिपक गया था। उसके स्तन साड़ी से साफ दिख रहे थे, और पसीने की बूंदें उसकी गहरी दरार में लुढ़क रही थीं। “सचिन, उमस बहुत है ना?” उसने कहा और मेरी ओर देखकर मुस्कुराई। उसकी नजर मेरे लंड के उभार पर रुक गई।
“हाँ भाभी, शरीर जल रहा है,” मैंने हिंदी में कहा और उसके स्तनों की ओर टकटकी लगाकर देखा। उनकी गोलाई और निप्पलों का उभार मुझे पागल कर रहा था। “पानी पियोगे?” उसने पूछा और अपने कमरे की ओर इशारा किया। “हाँ भाभी, क्यों नहीं,” मैंने कहा और उसके पीछे चला गया। उसके कमरे में अंधेरा था, और उमस की वजह से उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। उसने मुझे पानी का गिलास दिया, और गिलास लेते समय उसकी उंगलियों ने मेरे हाथ को छुआ। मेरे लंड में करंट सा दौड़ा। “भाभी, आप भी पसीने से भीग गई हैं,” मैंने कहा और उसके चेहरे का पसीना अपने हाथ से पोंछा। मेरा हाथ उसके गाल से सरकता हुआ उसकी गर्दन तक गया, और उसकी चिकनी त्वचा की गर्मी मेरे लंड को और सख्त कर रही थी। “सचिन, उमस अंदर से भी महसूस हो रही है,” उसने धीरे से कहा और अपनी साड़ी थोड़ी नीचे खिसकाई। उसके स्तन अब साड़ी से बाहर झांक रहे थे, और उसके निप्पल साफ उभरे हुए दिख रहे थे।
मैं समझ गया कि भाभी की चूत में आग लगी है। मैंने उसकी पतली कमर पकड़ी और उसे अपनी ओर खींचा। उसका मुलायम शरीर मेरी छाती से टकराया, और उसके स्तन मेरे हाथों के नीचे दब गए। “भाभी, इस आग को मैं बुझाऊं?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उसके स्तनों पर हाथ रखा। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी सांसें तेज हो गईं। मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई, और उसके स्तन नंगे हो गए। वे गोरे, गोल और शानदार थे, जैसे दो दूध की थैलियां मेरे सामने लटक रही हों। उसके निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और उनकी गोलाई देखकर मेरा लंड पायजामे में फटने को तैयार हो गया। “भाभी, आपके स्तन तो माल हैं,” मैंने कहा और एक स्तन को मुंह में लिया। मैंने उसके निप्पल को चूसना शुरू किया, अपनी जीभ से चाटा, और दूसरा स्तन जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… सचिन… धीरे… आह्ह…” वह सिसक रही थी। उसके स्तन मेरे हाथों में मसले जा रहे थे, और उसका निप्पल मेरे मुंह में सख्त होकर बड़ा हो गया। मैंने उसे हल्का सा काटा, और वह चिल्लाई, “आह्ह… सचिन… मजा आ रहा है।”
मैंने उसकी साड़ी पूरी तरह उतार दी। वह मेरे सामने नंगी थी। उसकी चूत के हल्के बाल पसीने से चिपके हुए थे, और उसकी गुलाबी फांकें गीली होकर चमक रही थीं। उसकी चूत गर्म, टाइट और शानदार थी, जैसे एक भट्टी मेरे लंड को बुला रही हो। उसकी खुशबू मेरी नाक में घुस रही थी, और मेरी चूत में सनसनाहट हो रही थी। “भाभी, आपकी चूत तो आग उगल रही है,” मैंने कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाली। “आह्ह… सचिन…” वह चिल्लाई। उसकी चूत टाइट और गीली थी, और मेरी उंगली को अंदर खींच रही थी। मैंने दो उंगलियां डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और वह सिसक रही थी, “सचिन, चोद ना… मेरी चूत तड़प रही है… लंड डाल।”
मैंने अपना पायजामा उतारा। मेरा 8 इंच का लंड सख्त, मोटा और काला था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी गोरी, भरे हुए शरीर वाली औरत। उसके स्तन बड़े, गोल और रसीले थे, जैसे दो पके हुए संतरे, जो उसकी टाइट साड़ी में हमेशा उभरे रहते थे। उसके निप्पल साड़ी के नीचे से हल्के से दिखते थे, जैसे दो सख्त गुलाबी मोती जो बाहर निकलने को तड़प रहे हों। उसकी कमर पतली थी, और उसकी गांड मोटी, मुलायम और गोल थी, जो चलते समय लचकती थी। उसकी जांघें मोटी और चिकनी थीं, जैसे मक्खन की ढेरी, और उसकी चूत की गर्मी उसकी हर हरकत से झलकती थी। उसका पति, जो एक टैक्सी ड्राइवर था, रात को देर से घर आता था या कभी-कभी बाहर ही रहता था। स्मिता भाभी अकेली रहती थी, और उसकी आँखों में एक भूख थी, जो मुझे मेरे लंड की ओर खींच रही थी।
एक दिन की बात है। मुंबई में अगस्त की उमस भरी रात थी, और पंखा बंद हो गया था। मैं अपने कमरे की गैलरी में खड़ा था। पसीने से मेरी बनियान भीग गई थी, और मेरा लंड पायजामे में सख्त होकर उभार बना रहा था। तभी स्मिता भाभी अपनी गैलरी में आई। वह पतली साड़ी में थी, और उसका पसीना उसके स्तनों पर चिपक गया था। उसके स्तन साड़ी से साफ दिख रहे थे, और पसीने की बूंदें उसकी गहरी दरार में लुढ़क रही थीं। “सचिन, उमस बहुत है ना?” उसने कहा और मेरी ओर देखकर मुस्कुराई। उसकी नजर मेरे लंड के उभार पर रुक गई।
“हाँ भाभी, शरीर जल रहा है,” मैंने हिंदी में कहा और उसके स्तनों की ओर टकटकी लगाकर देखा। उनकी गोलाई और निप्पलों का उभार मुझे पागल कर रहा था। “पानी पियोगे?” उसने पूछा और अपने कमरे की ओर इशारा किया। “हाँ भाभी, क्यों नहीं,” मैंने कहा और उसके पीछे चला गया। उसके कमरे में अंधेरा था, और उमस की वजह से उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। उसने मुझे पानी का गिलास दिया, और गिलास लेते समय उसकी उंगलियों ने मेरे हाथ को छुआ। मेरे लंड में करंट सा दौड़ा। “भाभी, आप भी पसीने से भीग गई हैं,” मैंने कहा और उसके चेहरे का पसीना अपने हाथ से पोंछा। मेरा हाथ उसके गाल से सरकता हुआ उसकी गर्दन तक गया, और उसकी चिकनी त्वचा की गर्मी मेरे लंड को और सख्त कर रही थी। “सचिन, उमस अंदर से भी महसूस हो रही है,” उसने धीरे से कहा और अपनी साड़ी थोड़ी नीचे खिसकाई। उसके स्तन अब साड़ी से बाहर झांक रहे थे, और उसके निप्पल साफ उभरे हुए दिख रहे थे।
मैं समझ गया कि भाभी की चूत में आग लगी है। मैंने उसकी पतली कमर पकड़ी और उसे अपनी ओर खींचा। उसका मुलायम शरीर मेरी छाती से टकराया, और उसके स्तन मेरे हाथों के नीचे दब गए। “भाभी, इस आग को मैं बुझाऊं?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उसके स्तनों पर हाथ रखा। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी सांसें तेज हो गईं। मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई, और उसके स्तन नंगे हो गए। वे गोरे, गोल और शानदार थे, जैसे दो दूध की थैलियां मेरे सामने लटक रही हों। उसके निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और उनकी गोलाई देखकर मेरा लंड पायजामे में फटने को तैयार हो गया। “भाभी, आपके स्तन तो माल हैं,” मैंने कहा और एक स्तन को मुंह में लिया। मैंने उसके निप्पल को चूसना शुरू किया, अपनी जीभ से चाटा, और दूसरा स्तन जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… सचिन… धीरे… आह्ह…” वह सिसक रही थी। उसके स्तन मेरे हाथों में मसले जा रहे थे, और उसका निप्पल मेरे मुंह में सख्त होकर बड़ा हो गया। मैंने उसे हल्का सा काटा, और वह चिल्लाई, “आह्ह… सचिन… मजा आ रहा है।”
मैंने उसकी साड़ी पूरी तरह उतार दी। वह मेरे सामने नंगी थी। उसकी चूत के हल्के बाल पसीने से चिपके हुए थे, और उसकी गुलाबी फांकें गीली होकर चमक रही थीं। उसकी चूत गर्म, टाइट और शानदार थी, जैसे एक भट्टी मेरे लंड को बुला रही हो। उसकी खुशबू मेरी नाक में घुस रही थी, और मेरी चूत में सनसनाहट हो रही थी। “भाभी, आपकी चूत तो आग उगल रही है,” मैंने कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाली। “आह्ह… सचिन…” वह चिल्लाई। उसकी चूत टाइट और गीली थी, और मेरी उंगली को अंदर खींच रही थी। मैंने दो उंगलियां डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और वह सिसक रही थी, “सचिन, चोद ना… मेरी चूत तड़प रही है… लंड डाल।”
मैंने अपना पायजामा उतारा। मेरा 8 इंच का लंड सख्त, मोटा और काला था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं। मैंने उसे हल्का सा हिलाया, और स्मिता की आँखें मेरे लंड पर टिक गईं। “सचिन, तेरा लंड तो शानदार है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने स्मिता को खाट पर लिटाया और उसके पैर फैलाए। उसकी चूत पूरी तरह खुल गई। उसकी जांघें मोटी और गोरी थीं, और उसकी गांड मुलायम और गोल थी, जो खाट पर फैली हुई थी। उसकी चूत की फांकें गीली और लाल थीं, और उसका पानी उसकी जांघों तक बह रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। उसकी गर्मी मेरे लंड को छू रही थी, और मैं पागल हो रहा था। “भाभी, लो मेरा लंड,” मैंने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… सचिन… मर गई… आह्ह…” वह चिल्लाई। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था।
मैंने उसके स्तनों को दबाते हुए चुदाई शुरू की। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी गर्म है… लंड जल रहा है,” मैंने कहा। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी गांड हवा में उछल रही थी। उसके स्तन मेरे हाथों में मसले जा रहे थे, और उसके मुंह से “आह्ह… ओह्ह… सचिन… चोद… और जोर से… आह्ह…” निकल रहा था। “भाभी, तुम्हारी चूत का भोसड़ा बनाऊंगा,” मैंने कहा और उसके पैर अपने कंधों पर रखे। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में जा रहा था, और उसकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी। “सचिन, मेरी चूत फाड़… लंड पूरा डाल… आह्ह…” वह चिल्ला रही थी। उसकी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और उसका पानी मेरे लंड से चिपक रहा था। मैंने उसके स्तनों पर थप्पड़ मारा, और वह और सिसकने लगी। “सचिन, मेरे स्तन चूस… चोद मुझे… आह्ह…” उसने कहा। मैंने उसका एक स्तन मुंह में लिया और चूसने लगा, और दूसरा मसलता रहा। उसके स्तन लाल हो गए, और उसके निप्पल मेरे मुंह में सख्त हो गए।
लगभग आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत चोदी। उसकी चूत से पानी की पिचकारी उड़ रही थी, और उसकी सांसें तेज हो रही थीं। फिर मैंने उसे उलट दिया। उसकी गांड मेरे सामने थी। उसकी गांड की दरार में पसीना चमक रहा था, और उसका छेद टाइट और गुलाबी था। उसकी गांड गोल और मुलायम थी, जैसे दो तकिए मेरे लंड को बुला रहे हों। “भाभी, तुम्हारी गांड भी चोदूंगा,” मैंने कहा और उसकी गांड पर थूका। मैंने अपनी उंगली उसकी गांड में डाली, और वह सिसकी, “आह्ह… सचिन… धीरे…” मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… सचिन… फट गई… आह्ह…” वह रो पड़ी, लेकिन मैं नहीं रुका। मेरा लंड उसकी गांड में पूरा घुस गया, और मैंने उसे कुत्ते की तरह चोदना शुरू किया। “भाभी, तुम्हारी गांड शानदार है… लंड को मजा आ रहा है,” मैंने कहा और उसके स्तनों को पीछे से मसलने लगा।
उसकी गांड में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। उसकी गांड टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था। “सचिन, और जोर से… मेरी गांड मार… आह्ह…” वह चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारा और कहा, “भाभी, तुम्हारी गांड फाड़ दूंगा।” उसके स्तन हवा में लटक रहे थे, और मैं उन्हें पीछे से पकड़कर मसल रहा था। उसकी गांड लाल हो गई थी, और उसकी सिसकियां तेज हो रही थीं। “सचिन, मेरी चूत में फिर से डाल… चोद मुझे,” उसने कहा। मैंने उसे फिर से सीधा किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “भाभी, तुम्हारी चूत में झड़ने वाला हूँ,” मैंने कहा और इतने जोर से चोदा कि खाट हिलने लगी। उसकी चूत से पानी उड़ा, और वह चिल्लाई, “सचिन, मैं गई… आह्ह…” उसकी चूत से पानी की पिचकारी निकली, और मेरा लंड फट पड़ा। मैंने अपना गर्म माल उसकी चूत में छोड़ दिया। “भाभी, तुम्हारी चूत शानदार है,” मैंने कहा और उसके होंठ चूसने लगा।
हम दोनों पसीने से भीगकर खाट पर लेट गए। उसके स्तन मेरी छाती से दब रहे थे, और उसकी चूत से मेरा माल बह रहा था। “सचिन, यह उमस फिर महसूस होगी,” स्मिता हंसते हुए बोली। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारा और कहा, “भाभी, जब तुम्हारी चूत गर्म होगी, मेरा लंड तैयार रहेगा।”
अगली रात का खेल
अगली रात पंखा फिर बंद हो गया। स्मिता ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। “सचिन, आज बाथरूम में चलें?” उसने कहा। हम बाथरूम में गए। वहां उसने साड़ी उतारी और अपनी चूत मेरे सामने कर दी। उसकी चूत अभी भी गीली थी, और उसकी फांकें लाल थीं। “चोद ना,” उसने कहा। मैंने उसे शावर के नीचे खड़ा किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “भाभी, तुम्हारी चूत शावर में भी शानदार है,” मैंने कहा और उसे चोदा। पानी हम दोनों पर बह रहा था, उसके स्तन हवा में उछल रहे थे, और उसकी गांड मेरे धक्कों से टकरा रही थी। “सचिन, मेरी गांड भी मार,” उसने कहा। मैंने उसे उलट दिया और उसकी गांड में लंड डाला। “आह्ह… सचिन… फाड़… आह्ह…” वह चिल्लाई।
हमने बाथरूम में एक घंटे तक चुदाई की। उसकी चूत और गांड मेरे माल से भर गईं। फिर वह बोली, “सचिन, किसी को मत बताना।” मैंने उसके स्तन चूसे और कहा, “भाभी, यह हमारा राज रहेगा।” उस रात उसने मुझे फिर बुलाया, और हमने खाट पर चुदाई की। उसकी चूत, गांड और मुंह—सब मेरे लंड से भर गए।
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