नमस्ते पाठकों, मेरा नाम राज है और अब मैं आपको आगे की भाभी जी की चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ…

इस भाग को पढ़ने से पहले, अगर आपने इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा है, तो कृपया उसे पहले पढ़ लें! भाभी का लाड़ला देवर – भाग 1

मैं भाभी को लेकर शिव के पास चला गया। शिव मेरी भाभी को देखकर मुस्कुराने लग गया, और भाभी भी उसे मुस्कान देने लग गईं।

शिव – यहीं या रूम में?

भाभी – नहीं, रूम में।

भाभी मुझसे बोलीं – तू यहीं बैठकर टीवी देख।

मैं – जब मुझे लाइव शूट देखने का मौका मिल रहा है, तो मैं फिल्म क्यों देखूँ। मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ।

भाभी – मारूँगी अभी।

मैं – अच्छा बाबा, जाओ।

फिर मैंने टीवी पर एक मूवी लगाकर देखने लग गया। भाभी शिव के साथ रूम में चली गई थीं।

करीब 5 मिनट बाद ही रूम से भाभी की चिल्लाने की आवाज़ें आने लग गईं। मैं समझ गया कि अंदर क्या हो रहा है। शिव का 10 इंच का लंड बहुत मोटा था।

बहुत देर तक भाभी की चीखें और चिल्लाने की आवाज़ें आती रहीं, फिर धीरे-धीरे उनकी आवाज़ कम हो गई। थोड़ी देर बाद ही भाभी की आहें और सिसकियाँ सुनाई देने लग गईं।

करीब 15 मिनट बाद शिव लुंगी पहने हुए, पसीने से पूरी तरह भीगा हुआ बाहर आया और बोला – जा, तुझे तेरी भाभी बुला रही है।

जब मैं अंदर गया, तो भाभी बेड पर एकदम नंगी लेटी हुई थीं। भाभी ने सिर्फ़ एक छोटे से कपड़े से अपनी चूत को ढक रखा था। उनके बाल बिखरे हुए थे, और वो भी पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थीं। उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं, और उन्होंने अपने पैरों को मोड़कर फैला रखा था।

मैं – क्या है?

भाभी – मेरे पास आ।

मैं उनके पास जाकर बैठ गया, तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और भाभी बोलीं – तूने तो मुझे फँसा ही दिया है।

मैं – आखिर हुआ क्या है?

भाभी – मैंने तुझे कहा था कि मुझे तेरे लंड जैसा लंड चाहिए। तेरे दोस्त का तो बहुत ज़्यादा लंबा और मोटा है। मैं तो समझती थी कि थोड़ा ही फ़र्क होगा।

मैं – काम हो गया?

भाभी – अभी आधा ही हुआ है।

मैं – आधे का क्या मतलब?

भाभी – दर्द के मारे मेरी जान निकल जा रही है। बहुत मुश्किल से मैं उसका आधा लंड ही अपने अंदर ले पाई हूँ।

मैं – अगर मैं होता, तो एक ही बार में पूरा का पूरा अंदर घुसा देता।

भाभी – तब तो मैं मर ही जाती।

इतना कहकर भाभी ने मेरे गालों को चूम लिया और बोलीं – शिव का लंड बहुत ही अच्छा है।

मैं – मज़ा आया?

भाभी – बहुत थोड़ा सा। जब वो पूरा अंदर घुसाकर चोदेगा, तब मुझे मज़ा आएगा।

मैं – अब की बार पूरा अंदर ले लेना।

भाभी – बहुत दर्द हो रहा था, वरना मैं पूरा ही अंदर ले लेती। आज तूने मुझे पहली बार कुछ कहा है, अब मैं तेरी ये बात नहीं टालूँगी। अब मैं तेरा पूरा लंड ही अंदर लूँगी, भले ही मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो।

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मैं – मुझे अपनी चूत तो दिखा दो।

भाभी – बदमाश, तू मेरी चूत देखेगा?

मैं – तो क्या हुआ, तुम मेरे सामने एकदम नंगी रहती हो। तुम्हारा मुझसे कुछ भी छिपा है क्या?

भाभी – अच्छा बाबा, दिखा दूँगी। पहले मैं एक बार पूरा लंड अंदर तो ले लूँ।

भाभी मुझसे बातें करती जा रही थीं। अब हम दोनों में कोई भी शर्म बाकी नहीं रह गई थी।

तभी शिव अंदर आया और बोला – मैं फिर से तैयार हूँ।

भाभी मुझसे बोलीं – अब तू बाहर।

मैं – नहीं, मैं यहीं रहूँगा।

भाभी – मुझे तेरे सामने शर्म आएगी ना।

मैं – अब कहाँ की शर्म?

भाभी – शर्म ख़त्म होने में थोड़ा समय तो लगेगा ना। अब तू जा यहाँ से।

मैं रूम से बाहर आ गया। फिर 2 मिनट बाद फिर से भाभी की चिल्लाने की आवाज़ आने लग गई। इस बार तो कुछ ज़्यादा ही जोर से भाभी चिल्ला और चीख रही थीं।

करीब 10 मिनट तक उनकी चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आती रही, उसके बाद उनकी आवाज़ थोड़ी शांत हो गई। करीब 20 मिनट बाद शिव बाहर आया, तो मैं अपनी भाभी के पास चला गया।

भाभी की हालत अब पहले से भी ज़्यादा खराब थी। उनका पूरा जिस्म पसीने से भीगा हुआ था। उनके पैर मुड़े हुए थे और पूरी तरह से खुले हुए थे। वो पूरी नंगी थीं, बस उनकी चूत को एक छोटे से कपड़े ने ढका हुआ था।

मैं – काम हो गया?

भाभी – हाँ, पर बहुत दर्द हुआ। तेरे कहने की वजह से मैंने इस बार पूरा लंड अंदर ले लिया। नहीं तो मुझे अब एक बार फिर से करवाना पड़ता। उसका लंड लंबा होने के साथ-साथ बहुत मोटा भी है।

मैं – मज़ा तो आया ना?

भाभी – बदमाश कहीं का।

मैं – बताओ ना भाभी?

भाभी – हाँ, थोड़ा सा।

मैं – वो क्यों?

भाभी – इस बार दर्द बहुत हो रहा था ना, इसलिए।

मैं – फिर तो तुम्हारी चूत की हालत भी एकदम से खराब हो गई होगी?

भाभी – बहुत ही ज़्यादा खराब हो गई है। मैं तो अब शायद 2-3 दिन ठीक से चल भी नहीं पाऊँगी।

मैं – अब तो दिखा दो अपनी चूत?

भाभी – अभी नहीं।

मैं – फिर कब?

भाभी – एक बार और करवा लेने दे। तब मेरी चूत एकदम से पूरी खुल जाएगी। फिर तू उसे आराम से देख लेना।

मैं – ठीक है, मैं थोड़ी देर और सब्र कर लेता हूँ।

करीब 30 मिनट बाद शिव फिर से आ गया, और मैं बाहर चला गया। इस बार तो भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाज़ ज़्यादा देर तक नहीं आई।

थोड़ी ही देर में उनकी सिसकियों की आवाज़ आने लग गई। करीब 20 मिनट बाद फिर से शिव बाहर आ गया, और मैं रूम में चला गया।

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अब भाभी का चेहरा एकदम खिला हुआ था।

मैं – लगता है इस बार मज़ा आया है?

भाभी – हाँ, पर तेरा दोस्त तो 10-15 मिनट से ज़्यादा कर ही नहीं पाता। वरना मुझे तो और ज़्यादा मज़ा आता।

मैं – अब तो दिखा दो?

भाभी – मुझे शर्म आती है।

मैं – अभी तो तुमने कहा था कि अगली बार दिखा दूँगी।

भाभी – अच्छा बाबा, ले देख ले। पर तू कहीं जोश में आ गया तो?

मैं – मैं भी तुम्हें चोद दूँगा।

भाभी – ठीक है, चोद लेना तुम भी मुझे।

मैंने फिर भाभी की चूत से कपड़ा हटाया, तो मैंने देखा कि उनकी चूत की हालत बहुत ही ज़्यादा खराब हो चुकी थी। उनकी चूत का मुँह बहुत ज़्यादा चौड़ा हो चुका था। उनकी चूत एकदम डबल रोटी की तरह सूज गई थी, और उनकी चूत से रस टपक रहा था। जिसमें थोड़ा सा खून भी मिला हुआ था। बेड की चादर खून और रस से खराब हो चुकी थी।

मैं काफ़ी देर तक भाभी की चूत को देखता रहा, तो भाभी मुझसे बोलीं – कब तक देखेगा?

मैं – मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

भाभी – मेरी जान ही निकल गई है, और तुझे अच्छा लग रहा है।

मैं – मज़ा भी तो आया ना।

भाभी – हाँ, ये तो है।

मैं – फिर देखने दो ना मुझे।

भाभी – ठीक है, तू जी भरकर देख ले।

मैं – मुझे भी अब जोश आ रहा है।

भाभी – अगर तेरा दिल करता है, तो तू भी अपनी प्यास को बुझा ले।

मैं – पर तुम्हारी चूत मेरे लंड के लायक नहीं है।

भाभी – क्यों, क्या खराबी है मेरी चूत में?

मैं – ये तो कुछ ज़्यादा ही चौड़ी हो गई है।

भाभी अब कुछ नहीं बोलीं। फिर 35 मिनट बाद शिव फिर से अंदर आया और मैं बाहर चला गया। इस बार भी भाभी की चीखने की आवाज़ ज़्यादा देर तक नहीं आई।

एक बार फिर शिव 20 मिनट में ही रूम से बाहर आ गया, और मैं फिर से अंदर चला गया। इस बार भाभी ने अपनी चूत ढकी नहीं हुई थी, तो मैंने उनसे पूछा।

मैं – अब शर्म नहीं आ रही है?

भाभी – अब कौन सी शर्म? अब तो तू मेरी चूत देख चुका है।

मैं – वो तो मैं बरसों से देख रहा हूँ।

फिर मैंने भाभी की चूत को देखा और मैं बोला – ये तो पहले से भी ज़्यादा सूज चुकी है।

भाभी – आ, बैठ जा मेरे पास।

मैं उनके पास बैठ गया। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और भाभी बोलीं – तूने मुझे आज वो मज़ा दिलाया है, जो मैं सारी जिंदगी नहीं भूल पाऊँगी। अब मुझे लग रहा है कि मैं भी माँ बन जाऊँगी।

मैं – अब घर चलना है, या और चुदना है?

भाभी – अब और नहीं।

मैं – चलो फिर घर चलते हैं।

भाभी – चल।

भाभी उठने की कोशिश करने लग गईं, तो उनके मुँह से चीख निकल गई।

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मैं – क्या हुआ?

भाभी – बहुत दर्द हो रहा है। घर कैसे जाऊँगी?

मैं – फिर क्या करोगी?

भाभी – थोड़ा गर्म पानी ले आओ, और तुम मेरी चूत की उससे सिकाई करो। इससे मेरा दर्द कम हो जाएगा।

मैं – अभी लाता हूँ।

फिर मैं थोड़ी देर में गर्म पानी लेकर भाभी के पास आया, और मैं बोला – भाभी, पानी ले आया हूँ। लो, इससे सिकाई कर लो।

फिर भाभी ने सिकाई की, पर फिर भी वो उठ नहीं पा रही थीं। मैंने उनकी इतनी बुरी हालत देखी, तो मैं बोला – आप कहो तो मैं आपकी सिकाई कर दूँ।

भाभी – तू मेरी चूत की सिकाई करेगा?

मैं – हाँ, तो क्या हुआ?

भाभी – ठीक है, ले अब तू सिकाई कर।

फिर मैंने गर्म पानी से भाभी की चूत की सिकाई शुरू कर दी। जोश के मारे मेरा लंड भी अब खड़ा हो गया था। तभी भाभी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी और वो बोलीं – अरे, तेरा लंड तो खड़ा हो गया है।

मैं – चूत पर हाथ लगाने से इसमें जोश आ गया है।

भाभी – कुछ गड़बड़ मत करना।

मैं – होटल का खाना खाने के बाद घर का खाना थोड़ा ही अच्छा लगता है। और आखिर में घर का खाना ही खाना पड़ता है।

भाभी – अगर मेरा मन हुआ, तो मैं घर का खाना भी खा लूँगी।

फिर 20-25 मिनट की सिकाई के बाद मैं बोला – अब उठकर देखो, कि आप उठ पाती हो या नहीं।

भाभी उठने की कोशिश करने लग गईं, तो उनके मुँह से हल्की सी आह निकल गई। पर वो उठ गईं और मैं बोला – अच्छा, चलो अब घर चलते हैं।

भाभी – थोड़ी और सिकाई कर लेने दे।

ये कहकर उन्होंने गर्म पानी का कपड़ा हाथ में लेकर अपनी चूत पर रख दिया। फिर 10-15 मिनट सिकाई करने के बाद भाभी बोलीं – चल, अब घर चलते हैं।

भाभी से अभी भी ठीक से चला नहीं जा रहा था। मैं भाभी को सहारा देकर घर ले गया।

उसके बाद भाभी अगले 2 दिनों तक शिव के पास नहीं गईं।

तो दोस्तों, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी भाभी और शिव की चुदाई की कहानी अच्छी लगी होगी। पर आपको क्या लगता है, कि भाभी की चूत इतने शांत हो गई? नहीं, ये आपकी गलतफहमी है।

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