मेरा नाम प्रिया है। मैं 21 साल की हूँ और पुणे में अपने माता-पिता के साथ रहती हूँ। मेरा मामा, अरुण, 35 साल का है। वह मुंबई में रहता है और एक छोटे व्यवसाय में काम करता है। मामा दिखने में आकर्षक है—लंबा, मजबूत शरीर, गोरा रंग, और उसकी आँखों में एक शरारती चमक। मैं भी सुंदर हूँ—मेरे स्तन गोल और सख्त, मेरी गांड चलते समय थिरकती है, और मेरी चूत की गर्मी मुझे खुद महसूस होती है। मामा मुझे “प्रिया रानी” कहता था और मुझे देखते समय उसकी नजर मेरे शरीर पर घूमती थी। मैं शरमाती थी, लेकिन अंदर से मुझे एक अलग सी आग लगती थी।
एक बार मामा हमारे घर आया। मेरे माता-पिता गाँव गए थे। मैं घर पर अकेली थी। मामा मेरे पास आया और बोला, “प्रिया, मेरे साथ बाहर घूमने चल ना।” मैंने पूछा, “कहाँ, मामा?” वह हँसा और बोला, “बस थोड़ा घूम लें। तेरा मन हल्का हो जाएगा।” मेरा मन उछलने लगा। मैंने एक पतली साड़ी पहनी—लाल रंग की, जिसमें से मेरे स्तन और गांड साफ दिख रहे थे। मामा ने मुझे देखकर कहा, “प्रिया, तू आज आग लगा रही है।” मैं शरमाकर हँसी।
मामा ने मुझे अपनी बाइक पर पीछे बिठाया। हम घर से निकल पड़े। मुझे नहीं पता था कि वह मुझे कहाँ ले जा रहा है। रात हो गई। मामा ने एक छोटे होटल के सामने बाइक रोकी। “मामा, यहाँ क्यों?” मैं डरते हुए बोली। वह बोला, “प्रिया, हम यहीं रुकेंगे। घर वापस गए तो तेरे माता-पिता हमें मार डालेंगे।” मेरा दिल धड़कने लगा, लेकिन मैं उसके साथ होटल में चली गई।
होटल का कमरा छोटा था—एक बेड, एक खिड़की, और मद्धम रोशनी। मामा ने दरवाज़ा बंद किया। “प्रिया, तू मेरी जान है,” उसने कहा और मुझे पास खींच लिया। उसकी गर्म साँस मेरी गर्दन पर लगी। मैंने उसकी छाती पर सिर रखा। उसका हाथ मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे स्तनों पर गया। मैं सिसक पड़ी— “आह, मामा, क्या कर रहे हो?” वह बोला, “तेरे स्तन मुझे पुकार रहे हैं।” उसने मेरी साड़ी कंधे से सरका दी। मेरे स्तन ब्लाउज से उघड़ गए—सख्त, गोल, और पसीने से चमकते हुए।
उसने मेरा ब्लाउज फाड़ दिया। मेरे स्तन उसके सामने नंगे हो गए। “क्या शानदार स्तन हैं तेरे, प्रिया,” उसने कहा और मेरे निप्पल पर मुँह रखा। उसने उसे चूसा, और मैं चिल्लाई— “उफ, मामा, ये क्या कर रहे हो?” उसका हाथ मेरे पेटीकोट पर गया। उसने मेरा पेटीकोट और पैंटी एक साथ नीचे खींच दी। मैं उसके सामने पूरी नंगी हो गई। मेरी गांड बेड पर टकरा रही थी, और मेरी चूत गीली हो चुकी थी। उसने मेरी गांड पर हाथ रखकर कहा, “प्रिया, तेरी गांड कितनी मुलायम है। इसे भी चोदूँगा।” मेरी चूत रस से टपक रही थी। मैं सिसकते हुए बोली, “मामा, मुझे चोद। अब बर्दाश्त नहीं होता।”
उसने मुझे बेड पर लिटाया। मेरे पैर फैलाए। मेरी चूत उसके सामने खुल गई—गीली, गर्म, और उसे पुकारती हुई। उसने अपने कपड़े फेंक दिए। उसका लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और तना हुआ। मैं डरते हुए बोली, “मामा, ये तो बहुत बड़ा है।” वह हँसा और बोला, “प्रिया, ये तेरी चूत के लिए ही है।” उसने मेरी चूत पर जीभ रखी। वह गर्म थी, रस से भीगी हुई थी। वह मेरी चूत चाटने लगा, और मैं चीख पड़ी— “आह, मामा, मुझे पागल कर देगा।”
वह मेरी चूत चूसता रहा। मेरा रस उसके मुँह में गया। “प्रिया, तेरी चूत कितनी मीठी है,” उसने कहा। मैं सिसकते हुए बोली, “मामा, मुझे चोद। अब चाटना बंद कर।” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैं काँप रही थी। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चिल्लाई— “आह, मामा, मेरी चूत फट गई।” वह बोला, “प्रिया, अब तुझे सुख मिलेगा।”
उसने मुझे चोदना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। मेरे स्तन हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं चीख रही थी— “आह, मामा, जोर से। मेरी चूत फाड़ दे।” वह पागलों की तरह मुझे चोद रहा था। उसकी साँस मेरे चेहरे पर पड़ रही थी, और मेरे शरीर में आग भड़क रही थी। उसने मुझे पलटा। मेरी गांड उसके सामने खुल गई—मुलायम, गोल, और थिरकती हुई। “प्रिया, तेरी गांड भी चोदूँगा,” उसने कहा। मैं सिसकते हुए बोली, “चोद, मामा। मेरी गांड तेरी है।”
उसने मेरी चूत में पीछे से लंड डाला और मुझे चोदना शुरू किया। उसके हाथ मेरी गांड पर पड़ रहे थे। मैं सिसक रही थी— “उफ, मामा, मेरी गांड जल रही है।” उसने मेरी गांड में एक उंगली डाली, और मैं पागल हो गई— “आह, मामा, मुझे मार डाल।” वह मुझे चोदता रहा। मेरी चूत उसके लंड से भरी थी। रात गहरी हो चुकी थी, और होटल के कमरे में मेरी सिसकियाँ गूँज रही थीं। कभी उसने मुझे बेड पर चोदा, कभी मुझे उठाकर मेरी गांड पर ठोका। मेरे स्तन उसके मुँह में थे, और वह उन्हें चूस रहा था। मैं चिल्लाई— “मामा, मेरी चूत भर दे।” उसने मुझे दीवार से टिकाकर चोदा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई में गया, और मैं चीख पड़ी— “आह, मामा, मेरी चूत सूज गई।” उसने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ा, और मैं उसकी छाती पर ढह गई।
सुबह हो गई। हम दोनों पसीने से भीगकर बेड पर पड़े थे। मेरी चूत दुख रही थी, और मेरे पैर काँप रहे थे। मामा ने मेरे स्तन दबाते हुए कहा, “प्रिया, तूने मुझे पागल कर दिया।” मैं हँसी और बोली, “मामा, तूने मुझे होटल में चोदकर मेरे जीवन की सबसे शानदार रात दी।” उसने मेरे होंठों पर चूमा, और मैंने उसकी छाती पर सिर रखा।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी मौका मिलता है, मामा मुझे होटल में ले जाता है और मुझे चोदता है। मेरे स्तन, मेरी गांड, मेरी चूत—सब कुछ उसका हो गया। हमने एक हद पार की, जो गलत थी, लेकिन उस गलती में एक अलग सुख था। मामा ने मेरी चूत होटल में चोदी, और उस आग में मैं फिर से जीवित हो गई।
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