मेरे प्रेमी ने मुझे कार में चोदा – मेरा नाम प्रिया है, और मैं 23 वर्ष की हूं। मैं दिल्ली में बसती हूं, और मेरा बदन बहुत ही लुभावना है—सफेद रंगत, भरे-पूरे स्तन, तथा मोटी गांड। मेरा बॉयफ्रेंड, विक्रम, 25 साल का है—ऊंचा कद, सुंदर चेहरा, और उसकी पैंट के अंदर छिपा उसका लंड मुझे हर वक्त व्याकुल रखता था। हम दोनों एक वर्ष से संबंध में थे, और हम बार-बार एक-दूसरे के साथ अंतरंग पल बिताते थे। लेकिन एक शाम उसने मुझे गाड़ी के अंदर चोदा, और वह घटना मेरे लिए कभी न भूलने वाली बन गई।

एक शाम की घटना है। विक्रम और मैं रात्रिभोज के लिए बाहर निकले थे। मैंने एक कसी हुई काली पोशाक पहनी हुई थी, जिससे मेरे स्तन और गांड स्पष्ट रूप से उभरकर दिखते थे। रात्रिभोज के बाद विक्रम ने कहा, “प्रिया, कुछ देर लंबी सैर पर चलें?” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “हां, क्यों नहीं।” हम उसकी गाड़ी में सवार हुए और दिल्ली के बाहर एक निर्जन मार्ग पर पहुंच गए। रात के 11 बज चुके थे, और सड़क पूरी तरह खाली पड़ी थी।

विक्रम ने गाड़ी को एक अंधेरी जगह पर रोका। “प्रिया, आज ты बहुत आकर्षक लग रही है,” वह मेरी ओर देखते हुए बोला। “विक्रम, ты भी बहुत सुंदर दिखते हो,” मैं शरमाते हुए बोली। विक्रम मेरे नजदीक आया और मेरे होंठों को चूसने लगा। “आह्ह, विक्रम, मेरे होंठों को दबा दो,” मैं सिसकी। उसने मेरी पोशाक को ऊपर सरकाया और मेरे स्तनों को बाहर निकाला। “कितने शानदार स्तन हैं, प्रिया,” वह बोला और मेरे एक निप्पल को मुंह में ले लिया। “आह्ह, विक्रम, चूसो,” मैं सिसकी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी।

विक्रम ने मेरी पोशाक को पूरी तरह उतार दिया। “प्रिया, तेरी चूत देखनी है,” वह बोला और मेरी पैंटी को नीचे खींचा। मेरी चूत नंगी होकर चमकने लगी। उसने अपनी जीभ को मेरी चूत पर घुमाया। “आह्ह, विक्रम, चाटो, मेरी चूत का रस पी लो!” मैं चिल्लाई। मेरी चूत से रस टपकने लगा। “प्रिया, तेरी चूत का स्वाद अद्भुत है,” विक्रम बोला और उसने अपनी पैंट उतारी। उसका मोटा लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त और गर्म। “विक्रम, ये तो मेरी चूत को चीर देगा!” मैं डरते हुए बोली। विक्रम हंसा और बोला, “प्रिया, तेरी चूत को फाड़ने का मजा अलग ही है।”

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उसने मुझे गाड़ी की पिछली सीट पर लिटाया। “अब तेरी चूत चोदता हूं,” विक्रम बोला और एक तेज धक्का दिया। “आह्ह, विक्रम, मेरी चूत फट गई!” मेरी चीखें गाड़ी में गूंजने लगीं। उसने तेज-तेज धक्के देने शुरू कर दिए। “प्रिया, तेरी चूत मेरे लंड को निगल रही है,” विक्रम बोला। मेरी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी। “विक्रम, और तेज चोदो, मेरी प्यास बुझाओ!” मैं चिल्लाई। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और वह गाड़ी की सीट पर गिर रहा था।

चुदाई का नशा बढ़ गया। विक्रम ने मुझे गाड़ी की सीट पर कुत्ती की तरह बनाया। “अब तेरी गांड में लंड डालता हूं,” वह बोला और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, विक्रम, मेरी गांड को लाल कर दो!” मैं बोली। उसने अपना मोटा लंड मेरी गांड में घुसेड़ा। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और तेज!” मेरी चीखें बढ़ गईं। “प्रिया, तेरी गांड बहुत तंग है,” विक्रम बोला। मेरी चूत से रस बह रहा था, और मैंने अपनी उंगलियां चूत में डाल लीं। “विक्रम, मेरी चूत और गांड दोनों चोदो!” मैं सिसकी।

चुदाई का खेल और तेज हुआ। विक्रम ने मुझे गाड़ी से बाहर निकाला और गाड़ी के बोनट पर टिका दिया। “अब तेरी चूत को गहराई से चोदता हूं,” वह बोला और लंड को मेरी चूत में ठोंका। “आह्ह, विक्रम, मेरी चूत को फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक पहुंच रहा था। “प्रिया, तेरी चूत को चोद-चोदकर ढीली कर दूंगा,” विक्रम बोला और मेरे स्तनों को दबाते हुए धक्के दिए। “चोदो मुझे, विक्रम, मुझे तेरे लंड का सुख दो!” मेरी सिसकियां बढ़ गईं। गाड़ी हमारी चुदाई से हिल रही थी।

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विक्रम ने मुझे फिर गाड़ी के अंदर ले लिया। “प्रिया, तेरे होंठ चूसता हूं,” वह बोला और मेरे होंठों को चूसने लगा। “आह्ह, विक्रम, मेरे होंठों को दबा दो!” मैं बोली। उसने मेरे होंठों को काटा और बोला, “प्रिया, तेरे होंठ शहद जैसे हैं।” मैंने उसका लंड हाथ में लिया और दबाते हुए बोली, “विक्रम, मेरी चूत को फिर चोदो!” उसने मुझे सीट पर गिराया और मेरी चूत में लंड ठोंका। “तेरी चूत को रस से भर दूंगा,” विक्रम चिल्लाते हुए बोला। “और तेज चोदो, मेरी प्यास मिटाओ!” मैं चिल्लाई।

रात और गहरी हो गई। विक्रम ने मुझे गाड़ी से बाहर निकाला और एक पेड़ से टिका दिया। “प्रिया, यहां तेरी चूत चोदता हूं,” वह बोला और मुझे खड़ा करके मेरी चूत में लंड ठोंका। “आह्ह, विक्रम, और तेज!” मैं चिल्लाई। रात की शांति में मेरी चीखें गूंज रही थीं। “प्रिया, तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है,” विक्रम बोला। मेरी चूत उसके लंड को गीला कर रही थी।

सुबह होने को थी। विक्रम ने मुझे फिर गाड़ी में ले लिया। “प्रिया, अब तेरी गांड फिर चोदता हूं,” वह बोला और मुझे सीट पर उल्टा कर दिया। “विक्रम, मेरी गांड में लंड डालो!” मैं सिसकते हुए बोली। उसने मेरी गांड में लंड घुसेड़ा। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और तेज!” मेरी चीखें गाड़ी में गूंज रही थीं। “प्रिया, तेरी गांड मेरे लंड की दासी है,” विक्रम बोला और मुझे रगड़ने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था। “चोदो मुझे, विक्रम, मुझे तेरी रंडी बना दो!” मैं चिल्लाई।

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अंत में उसका लंड फटा। उसका गर्म रस प्रिया की चूत में भरा, फिर उसकी गांड में, और बचा हुआ उसके स्तनों पर तथा होंठों पर छिड़क दिया गया। “आह्ह, विक्रम, तेरा रस मेरे मुंह में डालो,” प्रिया बोली और मेरे लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हांफते हुए गाड़ी की सीट पर गिर पड़े। “विक्रम, तूने मुझे गाड़ी में चोदकर एक यादगार रात दी,” प्रिया हंसते हुए बोली। “प्रिया, अब हर सैर ऐसी ही होगी,” मैंने जवाब दिया। उस चुदाई की तपिश मेरे बदन में समा गई थी।

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