मेरा नाम राहुल है। मैं 26 साल का हूँ और दिल्ली में एक छोटी कंपनी में नौकरी करता हूँ। मेरी छोटी बहन, प्रिया, 22 साल की है। वो कॉलेज में पढ़ती है और लखनऊ में रहती है। प्रिया दिखने में बहुत आकर्षक है—उसके स्तन सख्त और गोल, उसकी गांड चलते वक्त लचकती है, और उस prerogative उसकी चूत की गर्मी उसके चेहरे पर चमकती है। हम बचपन से बहुत करीब थे, लेकिन कभी ऐसा खयाल मन में नहीं आया—जब तक कि उस ट्रेन वाली रात ने सब बदल नहीं दिया।
एक बार प्रिया को दिल्ली आना था। उसने मुझे फोन किया और बोली, “भैया, मैं ट्रेन से आ रही हूँ। तुम स्टेशन पर आ जाना।” मैंने कहा, “प्रिया, मैं तुम्हारे साथ ट्रेन में चलता हूँ। हम साथ में दिल्ली जाएँगे।” वो खुश हो गई। हम लखनऊ स्टेशन पर मिले और रात की ट्रेन में चढ़ गए। हमें स्लीपर कोच में दो बर्थ मिले—एक मेरे लिए और एक प्रिया के लिए। ट्रेन चल पड़ी, और रात गहरी हो गई।
प्रिया ने टाइट कुर्ती और चूड़ीदार पहना था। उसके स्तन कुर्ती से बाहर आने को बेताब थे, और उसकी गांड चूड़ीदार में मटक रही थी। मैंने जीन्स और शर्ट पहनी थी। ट्रेन की खटखट चल रही थी, और बाहर से ठंडी हवा अंदर आ रही थी। रात के 11 बज गए। बर्थ पर बैठकर हम बातें कर रहे थे। प्रिया मेरे सामने वाले बर्थ पर बैठी थी। उसके स्तन मुझे दिख रहे थे, और मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
“भैया, तुम मुझे ऐसे क्यों घूर रहे हो?” उसने हँसते हुए पूछा। मैंने कहा, “प्रिया, तू बहुत सुंदर लग रही है। तेरे स्तन और गांड मुझे पागल कर रहे हैं।” वो शरमा गई और बोली, “भैया, ये क्या बोल रहे हो?” लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी। मैंने हिम्मत करके उसके बर्थ पर जाकर पास बैठ गया। “प्रिया, तू मेरी बहन है, लेकिन मैं तुझे छूना चाहता हूँ,” मैंने धीरे से कहा। वो चुप रही, बस मुझे देखती रही।
मैंने उसका कंधा पकड़ा और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए—नरम, गीले, और गर्म। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए। वो सिसक पड़ी— “आह, भैया।” मेरे हाथ उसकी कुर्ती पर गए। मैंने उसे ऊपर खींचा और उसके स्तन नंगे कर दिए। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके स्तन मेरे सामने थे—सख्त, गोल, और मुझे बुलाते हुए। “प्रिया, तेरे स्तन कितने शानदार हैं,” मैंने कहा और उन्हें दबाने लगा। वो सिसक पड़ी— “आह, भैया, धीरे।” मैंने उसके निप्पल पर मुँह रखा और चूसने लगा। वो चीखी— “उफ्फ, भैया, मैं पागल हो जाऊँगी।”
मेरे हाथ उसकी चूड़ीदार पर गए। मैंने उसे नीचे खींच दिया। उसकी गांड मेरे सामने नंगी थी—मुलायम, भरी हुई, और लचकती हुई। “प्रिया, तेरी गांड मुझे चोदने पर मजबूर करेगी,” मैंने कहा और उसे सहलाया। वो सिसकते हुए बोली, “भैया, मुझे चोद दो। मेरी चूत तुम्हारे लिए तड़प रही है।” मैंने उसकी चूड़ीदार और पैंटी उतार दी। वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने अपने कपड़े फेंक दिए। मेरा लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और तना हुआ। “प्रिया, मैं तुझे ट्रेन में चोदने वाला हूँ,” मैंने कहा। वो हँसी और बोली, “भैया, मुझे तुम्हारे हवाले कर दो।”
मैंने उसे बर्थ पर लिटाया। ट्रेन की खटखट चल रही थी, और बाकी यात्री सो रहे थे। मैंने उसके पैर फैलाए। उसकी चूत मेरे सामने खुल गई—गीली, गर्म, और रस से टपकती हुई। मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी। वो चीख पड़ी— “आह, भैया, ये क्या कर रहे हो?” मैंने उसकी चूत चाटना शुरू किया। उसका रस मेरे मुँह में गया। “प्रिया, तेरी चूत कितनी मीठी है,” मैंने कहा। वो सिसकते हुए बोली, “भैया, मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता।”
मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। वो काँप रही थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो चीखी— “आह, भैया, मेरी चूत फट गई।” मैंने उसका मुँह हाथ से दबा दिया, क्योंकि ट्रेन में कोई जाग सकता था। मैंने उसे चोदना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। उसके स्तन हर धक्के के साथ उछल रहे थे। वो सिसक रही थी— “आह, भैया, जोर से। मेरी चूत फाड़ दो।” मैं पागलों की तरह उसे चोद रहा था। ट्रेन की खटखट और उसके सिसकने की आवाज़ मिल गई थी।
मैंने उसे उल्टा किया। उसकी गांड मेरे सामने खुल गई—मुलायम, गोल, और मुझे बुलाती हुई। “प्रिया, तेरी गांड भी चोदूंगा,” मैंने कहा। वो सिसकते हुए बोली, “चोद दो, भैया। मेरी गांड तुम्हारी है।” मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड डाला और चोदना शुरू किया। उसकी गांड मेरे हाथों में मुलायम और गर्म लग रही थी। मैंने उसकी गांड पर एक थप्पड़ मारा और बोला, “प्रिया, तेरी गांड कमाल की है।” वो सिसक पड़ी— “उफ्फ, भैया, मेरी गांड जल रही है।” मैंने उसकी गांड में एक उंगली डाली, और वो पागलों की तरह चीखी— “आह, भैया, मुझे मार डालो।”
ट्रेन की रफ्तार बढ़ी, और मेरे धक्कों की रफ्तार भी बढ़ गई। मैं उसकी चूत और गांड दोनों चोद रहा था। उसके सिसके और ट्रेन की आवाज़ एक हो गए थे। रात बीत गई, और हमारी चुदाई रुकी नहीं। कभी मैंने उसे बर्थ पर चोदा, कभी उसे उठाकर उसकी गांड पर ठोका। उसके स्तन मेरे मुँह में थे, और मैं उन्हें चूस रहा था। वो चीखी— “भैया, मेरी चूत भर दो।” मैंने उसे बर्थ पर टिकाकर चोदा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में गया, और वो चीखी— “आह, भैया, मेरी चूत सूज गई।” मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया, और वो मेरी छाती पर ढह गई।
सुबह हो गई। ट्रेन दिल्ली के करीब पहुँच रही थी। हम दोनों पसीने से भीगकर बर्थ पर पड़े थे। उसकी चूत दुख रही थी, और उसके पैर काँप रहे थे। मैंने उसके स्तन हल्के से दबाए और बोला, “प्रिया, तुझे ट्रेन में चोदने में मज़ा आया।” वो हँसी और बोली, “भैया, तुमने जो सुख दिया, वो मुझे फिर चाहिए।” मैंने उसके होंठों पर चूमा, और वो मेरी बाहों में समा गई।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी हम ट्रेन से सफर करते हैं, मैं प्रिया को चोदता हूँ। उसके स्तन, उसकी गांड, उसकी चूत—सब मेरा हो गया। हमने एक हद पार कर ली, जो गलत थी, लेकिन उस गलती में एक अनोखा सुख था। बहन को ट्रेन में चोदा, और उस आग में मैं फिर से जी उठा।
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