मेरा नाम अंजलि सिंह है, और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। मैं गुजरात में मेरे पति बृज भूषण सिंह एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इंजीनियर की पोस्ट पर काम करते हैं।
उनकी इंडस्ट्री में हमेशा से लेबर का बहुत बड़ा मसला ही रहता था। मजदूरों का नेता भोगी भाई बहुत ही चमचा किस्म यानी टट्टे चूसने वाला आदमी था।
वो सभी ऑफिसर लोगों को हमेशा पटा कर रखता था, मेरे पति से उसकी बहुत जमती थी। पर मुझे उनकी दोनों की दोस्ती कभी पसंद नहीं थी।
शादी के बाद मैं जब नई-नई आई थी, वो मेरे पति के साथ अक्सर घर आने लग गया था। उसकी आँखें मेरे जिस्म पर ही रहती थी, मेरा जिस्म वैसे भी काफी सेक्सी और हॉट है।
वो मेरे जिस्म पर नजरें फेरता रहता था, ऐसा लगता था मानो वो अपने ख्यालों में मुझे नंगा कर रहा हो। शादी के बाद मुझे किसी को ये बताने में बहुत शर्म आती थी।
फिर भी मैंने अपने पति को समझाया कि वो ऐसे लोगों से दोस्ती न करें, पर वो बोले – जान, प्राइवेट कंपनी में काम करने के लिए थोड़े-बहुत ऐसे लोगों से भी दोस्ती रखनी पड़ती है।
उनकी इस बात के आगे मैं चुप हो जाती थी, तो मैंने हिम्मत कर कहा – पर वो आदमी मुझे बुरी नजरों से घूरता रहता है।
पर मेरे पति ने मेरी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया, वैसे भोगी भाई करीब 45 साल के थे। और उनका रंग भैंस जैसा काला था, उसका हर समय कोई न कोई कुराफत ही करना रहता था।
उसकी पहुँच ऊपर तक थी, और तो और उसका दबदबा आस-पास की कंपनी में भी चलता था। बाजार के नुक्कड़ पर उसकी अपनी कोठी थी, जिसमें वो अकेला ही रहता था। उसका कोई परिवार नहीं था, पर आस-पास के लोग बताते हैं कि वो बहुत ही रंगीला किस्म का एक अय्याश आदमी है।
अक्सर उसके घर में लड़कियाँ भेजी जाती थी, हर समय वो अपने चमचों से घिरा रहता था। वो सब देखने में गुंडे लगते थे, सूरत और इसके आस-पास काफी टेक्सटाइल की छोटी-मोटी फैक्ट्री हैं।
इन सब में भोगी भाई की परमिशन के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता था। उसकी पहुँच ऊपर के सभी मंत्रियों से भी ज्यादा थी।
मेरे पति के सामने भी वो कई बार मेरे साथ गंदे मजाक करता था, इससे मैं गुस्से में लाल हो जाती थी। पर मेरा पति हर इस बात को हँस कर टाल देता था।
बाद में जब मैं उनसे उसकी शिकायत करती तो वो मेरे होंठों को चूम कर मुझसे बोलते – अंजलि तुम हो ही ऐसी कि किसी का भी मन तुम्हें देखकर डोल जाता है। अगर तुम्हें देखकर कोई खुश होता है, तो हमें क्या फर्क पड़ता है।
होली से 2 दिन पहले एक दिन किसी काम से भोगी भाई हमारे घर पहुँचा। उस समय दिन था और मैं बाथरूम में नहा रही थी। बाहर से काफी आवाज लगाने पर भी कुछ सुनाई दिया।
शायद उसने घंटी भी बजाई होगी, पर पानी की आवाज में कुछ भी सुनाई नहीं दिया। मैं अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी, घर के गेट के लॉक में कोई दिक्कत थी।
जोर से धक्का देने पर वो लॉक खुल जाता था, जैसे ही उसने डोर को जोर से धक्का दिया तो वो खुल गया। उसने मुझे बाहर से आवाज दी पर जब कोई जवाब नहीं आया। तो उसने डोर खोल कर अंदर झाँका, रूम खाली देखकर वो अंदर आ गया।
फिर उसने बाथरूम में से पानी और मेरे गुनगुनाने की आवाजें आ रही थी। तो उसने पहले वापस जाने की सोची पर वो डोर तक गया, और उसने डोर को अंदर से लॉक कर दिया।
अब वो फिर से वो बेडरूम में चला गया, मैं घर में अकेले होने के कारण कपड़े मैंने बेड पर ही रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही उसकी आँखों में चमक आ गई।
उसने मेरे सारे कपड़े समेट कर अपने पास रख लिया, और मैं ये सब अनजान गाना गाती हुई नहा रही थी। जैसे ही मेरा नहाना खत्म हुआ, तो मैंने अपने पूरे जिस्म को तौलिए से साफ किया और फिर मैं पूरी नंगी ही बाहर निकल आई।
वो डोर के पीछे छुपा हुआ था, इसलिए उस पर मेरी नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो अपने जवां हुस्न को निहारा। फिर जिस्म पर पाउडर लगा कर मैंने अपना हाथ अपने कपड़ों की तरफ बढ़ाया।
पर बेड पर कपड़े न पाकर मैं एकदम से शॉक हो गई, तभी डोर के बीच से भोगी भाई ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मेरा नंगा जिस्म अब उनकी बाहों में था।
मैं एकदम घबरा गई थी, मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ। उसके हाथ मेरे जिस्म पर चल रहे थे। मेरे निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था, और दूसरे निपल को अपने हाथ से मसल रहा था।
फिर उसका एक हाथ मेरी चूत पर चला गया, अचानक से उसने अपनी 2 उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैं एकदम सिसक उठी और उसे मैंने एक जोर से धक्का दिया। मैं अब उसकी बाहों से निकल गई, मैंने चिल्लाते हुए डोर की तरफ दौड़ी पर लॉक खोलने से पहले फिर से मैं उसकी बाहों में आ गई थी।
वो मेरे बूब्स को बुरी तरह से मसल रहा था, मैं बोली – छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी।
तभी मेरा एक हाथ डोर के लॉक कर आ गया, और मैं डोर को खोल दिया। मेरी इस हरकत की शायद उसे उम्मीद तक नहीं थी। मैंने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारा और अपनी नंगी हालत की परवाह न करते हुए मैंने डोर खोला और मैं शेरनी की तरह चिल्ला कर बोली।
मैं – निकल जा मेरे घर से।
फिर मैंने उसे धक्के मार कर बाहर निकाल दिया, उसकी हालत छट खाए शेर जैसी हो गई थी। उसका चेहरा गुस्से से एकदम लाल हो गया था, और फिर वो बोला।
भोगी – साली बहुत बड़ी सती सावित्री बनती है ना, अगर तुझे मैंने अपने नीचे न लेटाया तो मेरा नाम भोगी भाई नहीं है। देखियो एक दिन तू खुद मेरे पास मेरे लंड लेने आएगी, और उस समय तू ही मेरे लंड पर उछलेगी।
मैंने उसकी एक न सुनी और उसके मुँह पर जोर से मैंने डोर बंद कर दिया, और फिर मैं जोर-जोर से रोने लग गई। शाम को जब बृज आया तो मैं उन पर फट पड़ी। मैंने उन्हें सारी बात बता दी, और ऐसे गंदे दोस्त रखने के लिए मैंने उन्हें खरी-खोटी सुनाई।
पहले तो बृज ने मुझे मनाने की कोशिश की और वो बोले – अरे ऐसे बुरे आदमी से क्या मुँह लगना।
पर मैं आज उनकी बातों में नहीं आने वाली थी, और फिर मेरे पति उससे लड़ाई करने चले गए। पर भोगी ने मेरे पति से झगड़ा किया और वो गालियाँ देते हुए बोला।
भोगी – साले अगर तेरी बीवी डोर खोल कर नंगी नहाएगी तो इसमें मेरी क्या गलती है। अगर इतनी ही सती सावित्री है तो उसे बोल कि बुरखे में रहे।
उसके आदमियों ने मेरे पति को धक्के दे कर बाहर निकाल दिया, फिर मेरे पति पुलिस के पास गए। पर पुलिस ने भी उनकी कोई मदद करने से साफ ही मना कर दिया।
खैर खून का घूँट पी कर उन्हें चुप होना पड़ गया। अब बदनामी का भी डर था और उनकी जॉब का भी सवाल था। धीरे-धीरे समय निकलने लग गया, भोगी चौंक पर अपने चेले-चपटों के साथ बैठा रहता था।
जब मैं उनके सामने से निकलती तो वो मुझे बोलता – वैसे बृज की वाइफ एकदम कातिल चीज है, साली के बूब्स मसल कर मैंने एकदम लाल कर दिए थे। मैंने इसकी चूत में भी उंगली डाली थी, अगर तुम्हें यकीन नहीं है तो खुद इससे पूछ लो।
क्यों मेरी जान अंजलि याद है ना तुझे मेरे हाथ का वो टच, अब फिर कब आ रही है मेरे बिस्तर पर।
पर बिना कुछ बोले गुस्से से सिर झुकाए वहाँ से निकल जाती थी। फिर दो महीने के बाद मैंने अपने पति के साथ बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। मैं शाम को उनके ऑफिस से आने का वेट कर रही थी।
मैंने आज एक कीमती साड़ी पहनी थी, और मैं अच्छे से मेकअप करके तैयार थी। मैं आज अपने पैरों में नई सैंडल पहनी थी। तभी अचानक उनकी फैक्ट्री से फोन आया, और दूसरी तरफ से एक आदमी बोला।
आदमी – क्या आप मिस सिंह बोल रही हैं?
मैं – जी हाँ बोलिए?
आदमी – मैडम पुलिस फैक्ट्री में आई थी, और बृज साहब को वो अरेस्ट करके ले गई है।
मैं – क्या क्यों? मैं कुछ समझी नहीं।
आदमी – मैडम आप प्लीज फैक्ट्री में आ जाइए।
फिर मैं उनकी फैक्ट्री में गई तो वहाँ से लोगों ने मुझे बताया, कि 2 दिन पहले फैक्ट्री में एक एक्सीडेंट हो गया था। जिसे पुलिस ने एक मर्डर केस बना दिया है, और इसके चक्कर में पुलिस सिर को अरेस्ट करके ले गई है।
मैं तो एकदम से हैरान हो गई। और मैं बोली – अरे ऐसा कुछ नहीं हो सकता है, आप तो जानते ही हैं कि बृज कैसा आदमी है, वो आपके यहाँ कितने सालों से काम कर रहा है। कभी आपको उनके खिलाफ कोई शिकायत मिली है क्या?
आदमी – देखिए मैडम हम भी सब कुछ जानते हैं, पर अब हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं सॉरी।
मैं – पर क्यों?
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