आप सभी प्यारे दोस्तों को मेरा, यानी आपकी उर्वशी का प्यार से भरा नमस्ते।

दोस्तो, मेरा नाम उर्वशी है और मैं जयपुर की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, और मैं एक बच्चे की माँ हूँ। शादी से ठीक 11 महीने पहले मैंने एक लड़के को जन्म दिया है।

आजकल मैं घर में रहती हूँ। घर में मेरी सासु माँ और मैं, हम दोनों अकेली रहती हैं। मैं कई बार इंटरनेट पर सेक्स कहानियाँ पढ़ती हूँ, और शादी से पहले भी पढ़ा करती थी।

अब मैं पूरा दिन बोर हो जाती थी, इसलिए मैंने फिर से कामुकता की सेक्स कहानियाँ पढ़ना शुरू कर दिया। एक साल पहले मैं बी.ए. के पहले साल में थी, जब मेरे माँ-बाप ने मेरे लिए एक लड़का देखकर उससे मेरी शादी पक्की कर दी थी।

हमारे समाज में 18 साल होते ही शादी तय हो जाती है या कर दी जाती है। शादी से पहले मेरे तीन लड़कों के साथ चक्कर चल रहे थे, और तीनों के साथ मेरे शारीरिक संबंध भी बने थे।

इसलिए मुझे चुदाई का पूरा चस्का लग गया था। मेरी पहली चुदाई प्रेम नाम के लड़के ने की थी, जब मैं 18 साल की हुई थी। इसके बाद मेरे दो और अफेयर चले।।

जब मुझे शादी के लिए लड़के की फोटो दिखाई गई, तो शादी से 20 दिन पहले मेरा घर से आना-जाना बंद हो गया था और मेरी चुदाई भी बंद हो गई थी। वैसे मेरा एक चक्कर मेरे पड़ोस में भी चल रहा था।

वो भी मुझसे शादी करना चाहता था, पर हम मजबूर थे क्योंकि एक ही गाँव में शादी करना बहुत ही मुश्किल काम था।

शादी से तीन रात पहले मुझे रात को उसने फोन करके मुझे छत पर बुलाया। उस वक्त रात के 2 बज रहे थे। जैसे ही मैं उससे मिली, उसने मुझे कसकर दबोच लिया और मेरे होंठों को चूसने लग गया।

साथ ही उसने अपना एक हाथ मेरी सलवार में डाल लिया और मेरी चूत को मसलने लग गया। मैं अब पूरी गर्म हो गई थी, और मैं भी उसका लंड मसलने लग गई थी।

उसने अपना लंड बाहर निकाल दिया, और मैं उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लग गई। फिर वो मुझे बोला – जान, कुर्ती उठा लो प्लीज, आखिरी बार मुझे अपने गोल-गोल बूब्स चुसवा दो।

मैं – ऐसा मत कहो, मैं अपने घर आती ही रहूँगी और तुमसे जरूर मिलकर जाऊँगी।

इसके बाद मैंने अपनी सलवार खोल दी और उसने मुझे वहीं फर्श पर लिटा दिया। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में डालकर जोर-जोर से मुझे चोदने लग गया।

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हम दोनों एक साथ ही शांत हो गए, और उसने अपना लंड मेरे मुँह में डालकर मुझसे साफ करवाया। अगले दिन शगुन की रस्म थी। हमारे यहाँ सुबह पहले लड़की वाले लड़के को शगुन लगाने जाते हैं और साथ में दहेज का सामान भी देते हैं।

सभी शगुन लगाने चले गए, और पीछे मैं, मेरी दीदी और माँ रह गई थीं। इसके बाद शाम को लड़के की बहन, भैया और उनके पति लड़की को शगुन की चूनी, गहने, और श्रृंगार का सामान देकर मेहंदी लगाते हैं।

उसमें से मेरी नजर बार-बार एक मर्द पर टिकने लग गई, वो भी मुझे घूरकर देख रहा था। शगुन डालते वक्त फोटो हुई तो मुझे पता चला कि वो मेरा नंदोई है।

वो क्या मस्त मर्द था, मैं उस पर मर मिट्टी थी। वो भी जानते थे कि मैं उनकी दीवानी हो गई थी। इसलिए वो मुझे देखकर आँख मार रहे थे, और मैं भी अपने होंठों को चबा रही थी।

मैं अपने रूम में कपड़े बदलने गई, क्योंकि मेरा लहंगा बहुत भारी था। मैंने रूम का दरवाजा बंद किया, पर मैं उसे लॉक करना भूल गई थी। मैंने जल्दी से अपनी कुर्ती और लहंगा खोला।

दरवाजे की तरफ मेरी कमर थी, जैसे ही मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई थी, तभी मुझे पीछे से एक आवाज आई, “क्या हुस्न पाया है, कयामत है।”

मैंने मुड़कर देखा तो वो मेरे सामने मेरे नंदोई थे। और वो बोले – बाथरूम मेरे रूम के साथ जुड़ा है, और उसका एक दरवाजा लॉबी में से खुलता है।

मैंने अपने रूम में नंदोई को देखकर झट से तौलिया ले लिया। वो मेरी ओर बढ़े और आखिर में मैं बेड पर गिर गई, फिर वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला लिए।

उन्होंने ड्रिंक की हुई थी, और मैं बोली – प्लीज मुझे जाने दीजिए, मेरा सब वेट कर रहे हैं। ये सब हम बाद में करेंगे।

वो – पहले तुम गर्म करती हो, और फिर मना करती हो?

वो दोनों हाथों से मेरी गोल-मटोल चूचियों को दबाने लग गए, मुझे कुछ-कुछ होने लग गया। मेरी चूत नीचे से मचल उठी और मैंने उनके लंड को पकड़ लिया। जो वो मेरा दाना मसलते तो वो जोर से मचल उठती थी।

थोड़ी देर में खुद ही वो अलग हो गए और बोले – भाभी, कल ही सही है।

अगले दिन मैं दुलहन बनी, और पार्लर से मैं दुलहन बनकर पैलेस में आई। मेरे पापा ने शहर का सबसे बड़ा पैलेस बुक किया हुआ था। आज मेरी शादी का दिन था और बारात 12 बजे आ गई थी।

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अब मिलनी की रस्म के बाद नाश्ता हुआ, और फिर स्टेज पर जयमाला हुई। काफी देर मैं वहाँ बैठी और सभी ने शगुन डाला और फोटो भी खिंचवाई।

ऊपर मंडप तैयार था, आज नंदोई बहुत ही हैंडसम लग रहे थे। बहुत बढ़िया डीजे का प्रोग्राम किया हुआ था, और एक तरफ दारू भी चल रही थी। वैसे भी मेरे ससुराल में सभी दारू पीते हैं।

खैर, मंडप पर मुझे दीदी, भाभी, और सहेलियाँ मुझे लेकर आईं और फिर फेरों के बाद मुझे मंगलसूत्र मेरे पति ने पहनाया। मेरे दूल्हे के साथ उनका नंदोई सारी रस्में उनकी मदद कर रहे थे।

ताकि उसे कोई घबराहट न हो, इधर मुझे भाभी सब कुछ बता रही थीं। मेरा नंदोई मेरी भाभी पर भी लाइन मार रहा था।

शाम के 5 बजे सब कुछ खत्म हो गया, और इसके बाद मेरी डोली उठ गई। और गुलाब से सजी कार में मैं बैठकर अपने ससुराल में आ गई। माँ जी ने पानी वरने की रस्म पूरी की।

मुझे भाभी और इधर वाली दीदी अलग रूम में ले गईं और वो मुझे बोलीं – कपड़े बदलकर फ्रेश हो जाओ। बाहर लॉन में सब नशे में धुत्त होकर नाच-गा रहे थे, शगुन माँगने वालों की लाइन लगी पड़ी थी। मेरे नंदोई उन सब को संभाल रहे थे।

रात हुई और दीदी बोलीं – अभी एक सरप्राइज बाकी है।

कुछ पल के लिए मेरे पास मेरे पति देव आए और वो बोली – बहुत आग लग रही हो।

उन्होंने पी रखी थी और काफी नशे में थे। फिर उन्होंने मेरे होंठ चूसे और वो बोले – चलो अब तुम अपने कपड़े बदल लो।

उन्होंने मेरा लहंगा खोला और मेरी कुर्ती की डोरी खींची और अलग करके वो मेरी कमर को चूमने लग गए। मैं सिकुड़ सी गई थी, अब दोनों आयो गाने की एक रस्म पूरी करनी है।

पति ने मेरे बूब्स दबाए और मैंने भी सूट पहन लिया और हम बाहर आ गए। वहाँ एक परात में कच्ची लस्सी में एक सिक्का गिराकर उसे ढूँढने की रस्म हुई।

इसके बाद दीदी बोलीं – तेरे नंदोई ने तुम दोनों के लिए एक फाइव स्टार में स्वीट बुक किया है।

मेरे पति देव को नशा हो चुका था, दीदी और मेरे नंदोई ने उन्हें पीने से रोका। जब हम कार में बैठे तो तब भी उन्हें काफी नशा था, नंदोई हमें वहाँ छोड़ने आए।

पहले नीचे पूरा डाइनिंग हॉल सिर्फ हम तीनों के लिए बुक था। मेरे लिए तो एक कोल्ड ड्रिंक हुई, और उन दोनों ने ड्रिंक की। दो पैग के बाद तो मेरे पति देव लुढ़क गए और मैं कुछ-कुछ अब समझ गई थी।

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मैं – बस करिए, और कितनी पियोगे?

नंदोई – भाभी जान, आज पीने का ही दिन है।

डिनर के बाद नंदोई ने मुझे मेरे रूम की चाबी गिफ्ट की और रूम सर्विस वाला हमें वहाँ तक छोड़ आया।

रूम खोलते वक्त मैंने देखा कि उनके हाथ में दो चाबियाँ थीं, एक 401 और एक 402 रूम की।

नंदोई – जाओ भाभी, अपनी दुलहन के पास और अपनी सुहागरात मनाओ।

इनको बहुत ज्यादा पिला दी गई थी, रूम तक आते वक्त भी उनके हाथ में दारू थी। मेरे नंदोई काफी हट्टे-कट्टे थे। और मेरे पति तो बेड पर आते ही सो गए, फिर मैं वॉशरूम में गई।

मैंने अपनी पहली रात के लिए सबसे पहले महँगी नाइटी खरीदी थी, और सामने रंग की ब्रा-पैंटी भी मैंने ली थी। फिर मैं उनके साथ बेड पर लेट गई, मैंने सोचा नशा थोड़ा कम हो गया होगा।

फिर उन्होंने अपनी शर्ट को उतार दिया, पर उन्हें कोई होश नहीं था। तभी मेरे मोबाइल पर एक कॉल आई और वो बोला।

वो – कैसी हो जान, मुझे पता है अंदर क्या चल रहा है। वो सुबह से पहले नहीं उठेगा, तुम्हें सर्विस बॉय ने 2 चाबियाँ दी थीं। बाहर से रूम लॉक करके तुम मेरे पास आ जाओ।

मैं – पर मैं नाइटी में हूँ।

वो – कोई बात नहीं, रात के 12 बज चुके हैं, इन रूम में कम लोग ही आते हैं।

फिर मैं उठी और इनको मैंने हिलाया, और फिर मैंने रूम को लॉक किया और मैं नंदोई के रूम में चली गई।

वो – वाह भाभी, क्या खूबसूरत लग रही हो।

मैं – ये आपने क्या किया, आपने उन्हें इतनी क्यों पिला दी।

फिर वो उठे और मुझे अपनी बाहों में भरते हुए खा – क्या करता, कल तूने ही अपने होंठों का रस पिलाकर मुझे पागल करके छोड़ दिया था।

मैं – आप बहुत ही खराब हो।

अब आगे की कामुकता सेक्स कहानी मैं आपको जल्दी ही बताऊँगी।

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