मेरा नाम अनुजा है। मैं 24 साल की हूँ और दिल्ली में एक छोटे कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरा भाई, विक्रांत, मुझसे चार साल बड़ा है। वो 28 का है और एक मार्केटिंग फर्म में काम करता है। विक्रांत दिखने में आकर्षक है—लंबा, मजबूत शरीर, साफ रंग, और उसकी आँखों में एक शरारती चमक। मैं भी खूबसूरत हूँ—मेरे स्तन सख्त और गोल, मेरी गांड चलते वक्त मटकती है, और मेरी चूत की गर्मी मुझे खुद महसूस होती है। हम बचपन से बहुत करीब थे, लेकिन ऐसा खयाल कभी मन में नहीं आया—जब तक कि वो रात नहीं हुई।
एक बार विक्रांत को अपनी कंपनी के काम से जयपुर जाना था। उसने मुझे फोन किया और बोला, “अनुजा, मेरे साथ जयपुर चल ना। वहाँ घूमेंगे, मज़ा करेंगे।” मेरे कॉलेज में छुट्टी थी, तो मैंने तुरंत हाँ कर दी। हम ट्रेन से जयपुर पहुँचे और एक छोटे से होटल में रूम बुक किया। होटल साधारण लेकिन साफ-सुथरा था। सिर्फ एक रूम थी—एक बिस्तर, एक खिड़की, और हल्का-सा मंद प्रकाश। विक्रांत ने कहा, “अनुजा, हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो जाएँगे। कोई दिक्कत तो नहीं?” मैंने हँसकर कहा, “नहीं, भैया। हम तो भाई-बहन हैं।” लेकिन मेरे मन में एक अजीब-सी हलचल थी।
रात के 10 बज गए। हमने खाना खाया और बिस्तर पर बैठ गए। मैंने एक पतली नाइटी पहनी थी—पसीने से वो मेरे शरीर से चिपक गई थी। मेरे स्तन नाइटी से साफ दिख रहे थे, और मेरी गांड बिस्तर पर टकरा रही थी। विक्रांत ने शॉर्ट्स और बनियान पहना था। उसका मज़बूत शरीर मुझे दिख रहा था। वो मुझे देखकर बोला, “अनुजा, तू बहुत हॉट लग रही है।” मैं शरमा गई और बोली, “भैया, ये क्या बोल रहे हो?” वो मेरे करीब आया और बोला, “अनुजा, तेरी गांड और माई मुझे पागल कर रहे हैं।” मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
वो मेरे और करीब आया। उसका हाथ मेरे कंधे पर गया। “भैया, ये ठीक नहीं है,” मैंने कहा, लेकिन मेरे लहजे में दम नहीं था। उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए—गर्म, मुलायम, और मुझे भड़काने वाले। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया। वो सिसक पड़ा— “आह, अनुजा।” उसके हाथ मेरी नाइटी पर गए। उसने उसे ऊपर खींचा और मेरे स्तन नंगे कर दिए। “क्या मस्त माई हैं तेरी,” उसने कहा और मेरे निप्पल चूसने लगा। मैं चीख पड़ी— “उफ्फ, भैया, ये क्या कर रहे हो?”
उसने मेरी नाइटी फाड़ दी। मैं उसके सामने पूरी नंगी थी। उसके हाथ मेरी गांड पर गए। “अनुजा, तेरी गांड कितनी मुलायम है। आज तेरी गांड मारूँगा,” उसने कहा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं सिसकते हुए बोली, “भैया, मुझे चोद दे।” उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और अपने कपड़े उतार फेंके। उसका लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और तना हुआ। “अनुजा, तेरी गांड मेरे लिए तैयार है,” उसने कहा। मैं काँप रही थी।
उसने मुझे उल्टा किया। मेरी गांड उसके सामने उभर आई—मुलायम, गोल, और उसे बुलाती हुई। उसने पहले मेरी चूत पर हाथ रखा। वो गीली और गर्म थी। उसने मेरी चूत चाटी, और मैं चीख पड़ी— “आह, भैया, मैं पागल हो जाऊँगी।” उसने मेरी चूत चूसने लगी। मेरा रस उसके मुँह में गया। “अनुजा, तेरी चूत गोड है, लेकिन मुझे तेरी गांड मारनी है,” उसने कहा। उसने मेरी गांड पर तेल लगाया—होटल के टेबल पर एक छोटी बोतल रखी थी।
उसने मेरी गांड पर लंड रगड़ा। मैं काँप रही थी। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका लंड मेरी गांड में घुस गया। मैं चीखी— “आह, भैया, मेरी गांड फट गई।” वो बोला, “अनुजा, थोड़ा सहन कर।” उसने मेरी गांड मारना शुरू किया। उसका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। मेरे स्तन बिस्तर पर दब गए थे, और मैं सिसक रही थी— “उफ्फ, भैया, तुम मुझे मार डालोगे।” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और बोला, “अनुजा, तेरी गांड मुझे चोदने के लिए मजबूर करती है।”
मेरी गांड दुख रही थी, लेकिन साथ ही एक अनोखा सुख भी मिल रहा था। उसने मेरी चूत में उंगलियाँ डालीं और उसे भी सहलाया। मैं चीख रही थी— “आह, भैया, और जोर से। मेरी गांड और चूत दोनों चोद दे।” वो पागलों की तरह मेरी गांड मार रहा था। होटल के कमरे में मेरी सिसकियाँ और उसके धक्कों की आवाज़ गूंज रही थी। रात बीत गई, और उसने मेरी गांड और चूत दोनों चोदी। कभी उसने मुझे उल्टा रखकर मेरी गांड मारी, कभी मुझे उठाकर मेरी चूत में ठोका। मैं चीखी— “भैया, मेरी गांड भर दे।” उसने मेरी गांड में अपना वीर्य छोड़ दिया, और मैं बिस्तर पर ढह गई।
सुबह हो गई। हम दोनों पसीने से भीगकर पड़े थे। मेरी गांड और चूत दुख रही थी। विक्रांत ने मेरे स्तन दबाए और बोला, “अनुजा, तेरी गांड मारने में बहुत मज़ा आया।” मैं हँसी और बोली, “भैया, तूने जो सुख दिया, उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी।” उसने मेरे होंठों पर चूमा, और मैंने उसकी छाती पर सिर रख दिया।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। विक्रांत जब भी मुझसे मिलता है, मेरी गांड मारता है। मेरी गांड, मेरी चूत, मेरे स्तन—सब उसका हो गया। हमने एक हद पार कर ली, जो गलत थी, लेकिन उस गलती में एक अनोखा सुख था। भैया ने मेरी गांड होटल में मारी, और उस आग में मैं फिर से जी उठी।
1 views