मेरा नाम रवि है। मैं 24 साल का हूँ और चेन्नई में एक छोटी कंपनी में नौकरी करता हूँ। मेरी दादी, विमला, 60 साल की हैं। वो हमारे गाँव, तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में रहती हैं। दादी की उम्र भले ही ज्यादा है, लेकिन उनका शरीर अब भी आकर्षक है—उनके स्तन भरे हुए और थोड़े लटके हुए, उनकी गांड मुलायम और गोल, और उनकी आँखों में एक अनोखी आग है। मैं बचपन से छुट्टियों में दादी के पास गाँव जाता था, और वो मुझ पर बहुत प्यार लुटाती थीं। लेकिन एक बार गाँव में हुई एक घटना ने हमारे रिश्ते को पूरी तरह बदल दिया।
पिछले साल मैं छुट्टी के लिए गाँव गया। मम्मी-पापा शहर में ही रुके, और मैं अकेला गाँव पहुँचा। दादी मुझे देखकर बहुत खुश हुईं। उन्होंने एक साधारण साड़ी पहनी थी—पतली, जिसमें से उनके स्तन और गांड हल्के से दिख रहे थे। मैंने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहना था। दोपहर हो चुकी थी, और हम घर में बैठकर बातें कर रहे थे। गाँव में शांति थी—बस पेड़ों की सरसराहट और दादी का हँसमुख चेहरा।
शाम को दादी बोलीं, “रवि, तू कितना बड़ा हो गया है। अब तो जवान दिखता है।” मैं हँसा और बोला, “दादी, तुम भी तो अब तक जवान लगती हो। तुम्हारे स्तन और गांड अभी भी मुझे ललचाते हैं।” दादी शरमा गईं और बोलीं, “रवि, ये क्या बोल रहा है?” लेकिन उनके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। मैंने हिम्मत करके उनके पास गया और उनके कंधे पर हाथ रखा। “दादी, तुम मेरी दादी हो, लेकिन मुझे तुम्हें छूने का मन कर रहा है,” मैंने धीरे से कहा। वो चुप रहीं, बस मुझे देखती रहीं।
मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा। उनके होंठ मेरे होंठों से टकराए—मुलायम, थोड़े सूखे, लेकिन गर्म। मैंने उनके होंठ चूसना शुरू किया। वो सिसक पड़ीं— “आह, रवि, ये क्या कर रहा है?” मेरे हाथ उनकी साड़ी पर गए। मैंने साड़ी ऊपर खींची और उनके स्तन नंगे कर दिए। उन्होंने ब्लाउज नहीं पहना था। उनके स्तन मेरे सामने थे—थोड़े लटके हुए, भरे हुए, और मुझे बुलाते हुए। “दादी, तुम्हारे स्तन अभी भी कमाल के हैं,” मैंने कहा और उन्हें हल्के से दबाया। वो सिसक पड़ीं— “आह, रवि, धीरे कर।” मैंने उनके निप्पल पर मुँह रखा और चूसने लगा। वो चीखीं— “उफ्फ, रवि, मुझे क्या हो रहा है?”
मेरे हाथ उनकी साड़ी के नीचे गए। मैंने उनका पेटीकोट और साड़ी नीचे खींच दी। उनकी गांड मेरे सामने नंगी थी—मुलायम, गोल, और थोड़ी झुर्रियों वाली। “दादी, तेरी गांड मुझे चोदने के लिए मजबूर करेगी,” मैंने कहा और उसे सहलाया। वो सिसकते हुए बोलीं, “रवि, मुझे चोद दे। मेरी चूत कितने सालों से प्यासी है।” मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट पूरी तरह उतार दिया। वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनकी चूत थोड़ी गीली थी, और उस पर सफेद बाल दिख रहे थे। मैंने अपने कपड़े फेंक दिए। मेरा लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और तना हुआ। “दादी, मैं तुम्हें चोदने वाला हूँ,” मैंने कहा। वो हँसीं और बोलीं, “रवि, मुझे अपने हवाले कर दे।”
मैंने उन्हें फर्श पर लिटा दिया। घर में सन्नाटा था, और बाहर से पेड़ों की आवाज़ आ रही थी। मैंने उनके पैर फैलाए। उनकी चूत मेरे सामने खुल गई—गीली, गर्म, और मुझे पुकारती हुई। मैंने उनकी चूत पर जीभ रखी। वो चीख पड़ीं— “आह, रवि, ये क्या कर रहा है?” मैंने उनकी चूत चाटना शुरू किया। उनका रस मेरे मुँह में गया—थोड़ा नमकीन, लेकिन मुझे पागल करने वाला। “दादी, तेरी चूत अभी भी मीठी है,” मैंने कहा। वो सिसकते हुए बोलीं, “रवि, मुझे चोद दे। अब बर्दाश्त नहीं होता।”
मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ा। वो काँप रही थीं। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीखीं— “आह, रवि, मेरी चूत फट गई।” मैंने उन्हें चोदना शुरू किया। मेरा लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। उनके स्तन हर धक्के के साथ हिल रहे थे। वो सिसक रही थीं— “आह, रवि, और जोर से। मेरी चूत फाड़ दे।” मैं पागलों की तरह उन्हें चोद रहा था। घर में उनकी सिसकियाँ और मेरे धक्कों की आवाज़ गूंज रही थी।
मैंने उन्हें उल्टा किया। उनकी गांड मेरे सामने खुल गई—मुलायम, थोड़ी झुर्रियों वाली, लेकिन मुझे बुलाती हुई। “दादी, तेरी गांड भी चोदूंगा,” मैंने कहा। वो सिसकते हुए बोलीं, “चोद दे, रवि। मेरी गांड तेरी है।” मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाला और चोदना शुरू किया। उनकी गांड मेरे हाथों में मुलायम और गर्म लग रही थी। मैंने उनकी गांड पर एक थप्पड़ मारा और बोला, “दादी, तेरी गांड शानदार है।” वो सिसक पड़ीं— “उफ्फ, रवि, मेरी गांड जल रही है।” मैंने उनकी गांड में एक उंगली डाली, और वो पागल होकर चीखीं— “आह, रवि, मुझे मार डाल।”
रात गहरी हो चुकी थी, और हमारी चुदाई रुक नहीं रही थी। मैं उनकी चूत और गांड दोनों चोद रहा था। उनकी सिसकियाँ और घर की शांति एक हो गई थी। रात बीत गई, लेकिन हम नहीं रुके। कभी मैंने उन्हें फर्श पर चोदा, कभी उठाकर उनकी गांड पर ठोका। उनके स्तन मेरे मुँह में थे, और मैं उन्हें चूस रहा था। वो चीखीं— “रवि, मेरी चूत भर दे।” मैंने उन्हें दीवार से टिकाकर चोदा। मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में गया, और वो चीखीं— “आह, रवि, मेरी चूत सूज गई।” मैंने अपना वीर्य उनकी चूत में छोड़ दिया, और वो मेरी छाती पर ढह गईं।
सुबह हो गई। हम दोनों पसीने से भीगकर फर्श पर पड़े थे। उनकी चूत दुख रही थी, और उनके पैर काँप रहे थे। मैंने उनके स्तन हल्के से दबाए और बोला, “दादी, तुम्हें चोदकर बहुत मज़ा आया।” वो हँसीं और बोलीं, “रवि, तूने मुझे फिर से जवान कर दिया।” मैंने उनके होंठों पर चूमा, और वो मेरी बाहों में समा गईं।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी मैं गाँव जाता हूँ, दादी मुझे चोदने के लिए बुलाती हैं। उनके स्तन, उनकी गांड, उनकी चूत—सब मेरा हो गया। हमने एक हद पार कर ली, जो गलत थी, लेकिन उस गलती में एक अनोखा सुख था। दादी ने पोते से चुदवाया, और उस आग में मैं फिर से जी उठा।
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