रात के अंधेरे में बहन की चुदाई.
मेरा नाम अमित है। मैं चेन्नई में एक छोटे से फ्लैट में रहता हूँ। मेरी उम्र 32 साल है, और मैं एक आईटी कंपनी में काम करता हूँ। मेरी पत्नी, माया, और मेरी छोटी बहन, राधिका, मेरे साथ रहती हैं। माया 30 साल की है, और राधिका 26 की। माया खूबसूरत है—उसके स्तन मुलायम और आकर्षक हैं, उसकी गांड चलते समय लचकती है, और उसकी चूत की गर्मी मुझे हमेशा अपनी ओर खींचती है। लेकिन राधिका की सुंदरता कुछ अलग है। उसके सख्त स्तन ब्लाउज़ से बाहर आने को बेताब रहते हैं, उसकी गांड जवानी से भरी हुई है, और उसके चेहरे पर एक अनजानी कामुकता चमकती है। लेकिन वह मेरी बहन है, और मैंने उसे कभी उस नज़र से नहीं देखा था—या मुझे ऐसा लगता था।
लेकिन एक रात ने सब कुछ बदल दिया। वह शनिवार की रात थी। चेन्नई में उस दिन बारिश जोरों से हो रही थी। बिजली चली गई थी, और रात का अंधेरा गहरा हो गया था। माया अपनी सहेली की शादी के लिए बेंगलुरु गई थी। वह दो दिन बाद लौटने वाली थी। घर पर सिर्फ़ मैं और राधिका थे। मैं अपनी कमरे में बिस्तर पर लेटा था। बारिश और ठंड की वजह से नींद नहीं आ रही थी। मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी महसूस हो रही थी। माया की याद आ रही थी—उसके नरम होंठ, उसकी गर्म चूत, उसकी लचकती गांड। मेरा लंड धीरे-धीरे तनने लगा।
रात के बारह बज रहे होंगे। अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा कि कोई मेरे कमरे में आया। एक आकृति मेरे बिस्तर पर आई और मेरे बगल में लेट गई। उसकी गर्मी मुझे महसूस हुई। मैंने सोचा, “माया जल्दी लौट आई क्या?” मैंने धीरे से पूछा, “माया, तू कब आई?” लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अंधेरे में मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ बढ़ाया और उसकी कमर पर रखा। वह मुलायम थी, गर्म थी। मेरे शरीर में आग भड़क उठी। “माया, तूने मुझे बहुत याद किया,” मैंने कहा और उसे पास खींच लिया।
उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए। वे नरम थे, गीले थे। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया। वह सिसकी—“आह।” मुझे लगा माया मूड में है। मेरे हाथ उसकी नाइटी पर गए। वह पतली नाइटी थी, और उसके शरीर की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसकी नाइटी ऊपर खींची। मेरे हाथ उसके स्तनों पर गए—वे सख्त थे, गोल थे, और पसीने से गीले हो चुके थे। “माया, तेरे स्तन कितने शानदार हैं,” मैंने कहा और उन्हें दबाना शुरू किया। वह सिसकी—“आह, धीरे कर।” लेकिन अंधेरे में मुझे उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने उसकी नाइटी का कंधा नीचे खींचा और उसके स्तन नंगे कर दिए। मेरा मुँह उसके निप्पल पर गया। मैंने उन्हें चूसा, और वह चीखी—“उफ़, तू ये क्या कर रहा है?”
मेरे हाथ उसकी गांड पर गए। उसकी गांड मुलायम थी, भरी हुई थी। मैंने उसे सहलाया और कहा, “माया, तेरी गांड मुझे पागल कर देती है।” वह सिसक रही थी, लेकिन मुझे नहीं रोक रही थी। मेरे शरीर की आग अब बेकाबू हो चुकी थी। मैंने उसकी नाइटी पूरी तरह उतार दी। वह मेरे सामने नंगी थी। उसकी चूत मेरे हाथ को महसूस हुई—गीली, गर्म, और मुझे बुलाती हुई। मैंने अपने कपड़े फेंक दिए। मेरा लंड बाहर आया—लंबा, सख्त, और तना हुआ। “माया, तेरी चूत मेरे लिए तैयार है,” मैंने कहा। वह कुछ नहीं बोली, बस सिसकती रही।
मैंने उसके पैर फैलाए। उसकी चूत पर मैंने अपनी जीभ रखी। वह गर्म थी, रस से भीगी हुई थी। मैंने उसकी चूत चाटना शुरू किया। वह चीखी—“आह, ये क्या कर रहा है? मैं पागल हो जाऊँगी।” मैं उसकी चूत चूसता रहा। उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। “माया, तेरी चूत कितनी मीठी है,” मैंने कहा। वह सिसकते हुए बोली, “मुझे चोद, अब बर्दाश्त नहीं होता।” मुझे लगा माया बहुत गर्म हो चुकी है। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। वह काँप रही थी। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया। वह चीखी—“आह, मेरी चूत फट गई।”
मैंने उसे चोदना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और उसके स्तन हर धक्के के साथ उछल रहे थे। वह चीख रही थी—“आह, और ज़ोर से, मेरी चूत फाड़ दे।” मैं पागलों की तरह उसे चोद रहा था। उसकी सिसकियाँ अंधेरे में गूँज रही थीं—“उफ़, तू मुझे मार डालेगा।” मेरी साँसें उसके चेहरे पर पड़ रही थीं, और मेरे शरीर में आग लगी थी। मैंने उसे पलट दिया। उसकी गांड मेरे सामने नंगी हो गई—मुलायम, गोल, और मुझे बुलाती हुई। “माया, तेरी गांड भी चोदूँगा,” मैंने कहा। वह सिसकते हुए बोली, “चोद, मेरी गांड तेरी है।”
मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और पीछे से चोदना शुरू किया। मेरे हाथ उसकी गांड पर पड़ रहे थे, और वह सिसक रही थी—“उफ़, मेरी गांड जल रही है।” मैंने उसकी गांड में एक उंगली डाली, और वह पागल की तरह चीखी—“आह, मुझे मार डालेगा।” मैं उसे चोदता रहा। उसकी चूत मेरे लंड से भरी थी। रात का अंधेरा, बारिश की आवाज़, और हमारी चुदाई का ताल—सब एक हो गया था।
रात बीत गई। मैंने उसे अलग-अलग तरीकों से चोदा। कभी बिस्तर पर, कभी उसे उठाकर उसकी गांड पर धक्के मारे। उसके स्तन मेरे मुँह में थे, और मैं उन्हें चूस रहा था। वह चीखी—“मेरी चूत भर दे।” मैंने उसे दीवार के सहारे टेककर चोदा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में गया, और वह चीखी—“आह, मेरी चूत सूज गई।” मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया, और वह मेरी छाती पर ढह गई।
सुबह हुई। बिजली वापस आई। मैंने आँखें खोलीं, और मेरा साँस रुक गया। मेरे बगल में माया नहीं थी—वह राधिका थी। वह नंगी थी, उसके स्तन नंगे थे, और उसकी चूत मेरे वीर्य से गीली थी। मैं डर गया। “राधिका, ये क्या हुआ?” मैंने चिल्लाकर पूछा। वह शरमाई और बोली, “भैया, मुझे रात को ठंड लग रही थी। मैं तुम्हारे कमरे में आ गई। लेकिन तूने मुझे माया समझ लिया।”
मेरा दिमाग़ घूम गया। मैंने अपनी बहन को पत्नी समझकर चोद दिया था। लेकिन उसके चेहरे पर शर्म थी, और एक अजीब सी मुस्कान भी। “भैया, मुझे बुरा नहीं लगा,” उसने धीरे से कहा। मैंने उसके स्तनों की ओर देखा—वे अभी भी गर्म थे। मेरे मन में पाप और सुख का मिश्रण हो गया। उस रात मैंने राधिका को चोदा, और वह मेरे लिए माया बन गई। हमारा रिश्ता बदल गया, लेकिन उस अंधेरे में मिले सुख के पल को मैं कभी नहीं भूल सकता।
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