मेरी काकी की कहानी
उस दिन पूर्णिमा थी। चाँद पूरी तरह से आकाश में विराजमान था। मैं मुंबई आए हुए एक महीना पूरा हो गया था। काका और काकी पिछले महीने गाँव आए थे, तब काका ने मुझसे पूछा, चल मुंबई आएगा क्या। मैं मन ही मन डर गया। आज तक मैं मुंबई कभी नहीं गया था। लेकिन काका-काकी ने बहुत जोर डाला। काका बहुत अच्छे थे, मैं मुंबई आ तो गया, पर यहाँ आकर … पूरी कहानी पढ़े...